🕉नारद उवाच, प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये॥ अर्थ: नारद जी कहते हैं- पहले मस्तक झुकाकर...