जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि आज की दुनिया खेमों में बंटी हुई है और यह स्थिति वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियाँ पैदा कर रही है। उन्होंने विभिन्न कारणों की चर्चा की, जो संघर्षों के बढ़ने का कारण बन रहे हैं।
- भू-राजनीतिक अस्थिरता: जयशंकर ने बताया कि दुनिया भर में शक्ति संतुलन में बदलाव और वैश्विक राजनीति में अनिश्चितता ने तनाव को बढ़ावा दिया है। देश अपनी सुरक्षा और रणनीतिक हितों को लेकर चिंतित हैं।
- संसाधनों की कमी: जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी ने संघर्षों को बढ़ाया है। पानी और ऊर्जा जैसे आवश्यक संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, जिससे टकराव की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
- अंतरराष्ट्रीय संवाद की कमी: उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर संवाद और सहयोग में कमी आई है। यह स्थिति देशों के बीच विश्वास की कमी का संकेत है, जिससे समझौतों और सहमति की संभावना घट गई है।
- आतंकवाद और कट्टरपंथ: आतंकवाद और कट्टरपंथी विचारधाराएँ भी दुनिया में अस्थिरता का एक महत्वपूर्ण कारण बनी हुई हैं। इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताते हुए, उन्होंने कहा कि इसके प्रभावों से निपटने के लिए एकजुटता की आवश्यकता है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करें। उन्होंने कहा कि केवल सामूहिक प्रयास और संवाद से ही हम शांति और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
उनकी बातें इस बात की पुष्टि करती हैं कि वर्तमान वैश्विक माहौल में सहयोग और संवाद की अधिकतम आवश्यकता है, ताकि युद्ध और संघर्ष की स्थितियों को रोका जा सके और विश्व को एक स्थायी शांति की ओर ले जाया जा सके।
यह भाषण वैश्विक शांति के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश था, जिसमें उन्होंने सभी देशों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।