श्लोक का भावार्थ: यह श्लोक श्री गणेश के गुणों का वर्णन करता है और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है। इसमें यह बताया गया है कि श्री गणेश मोदक (उनका प्रिय भोग) को ग्रहण करने वाले, मुक्ति के दाता, गजासुर जैसे दैत्य का वध करने वाले और सभी के पापों को नष्ट करने वाले हैं। श्री गणेश का पूजन सभी दुखों से मुक्ति और सुख-शांति प्राप्ति का एक महान साधन है।