आज तक नही है कोई स्मारक
20 अक्टूबर को शहीद हुए थे ग्राम जाटोली के दलीप सिंह
भारतीय सेना ने दलीप सिंह को हीरों ऑफ नेफा की उपाधि से नवाजा था
शहीद दलीप सिंह ने 20 चीनी सैनिकों को मारकर अपनी वीरता का प्रदर्शन किया
पटौदी, 19 अक्टूबर ,
भारत चीन युद्ध में गुरुग्राम जिले के पहले शहीद गांव जाटोली निवासी हीरो ऑफ नेफा शहीद दलीप सिंह की शहादत पर क्षेत्रवासियों को गर्व है। सन 1962 के भारत चीन युद्ध में वीरता के साथ अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले दलीप सिंह को सेना द्वारा हीरो ऑफ नेफा की उपाधि से नवाजा गया था। 20 अक्टुबर को उनकी 61वीं पुण्यतिथि है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आर्य समाज जाटोली में उनका शहादत दिवस सादगी से मनाया जाएगा।
शहीद का जीवन परिचय
गांव जाटोली में 2 फरवरी 1941 को पिता ठाकुर छज्जू सिंह व माता मुकुंदी देवी दंपति के घर दलीप सिंह का जन्म हुआ था। 21जून 1962 को यह वीर जवान थोरा बांकीपुर की रामावती से शादी करने के लिए बारात लेकर निकल पड़ा। 23 जून को नवनवेली दुल्हन रामावती को लेकर जब लौटा तो सेना से आए हरकारे ने भारत चीन युद्ध की जानकारी देते हुए यूनिट में लौटने की सूचना दी। पत्नी रामावती की रची हुई मेहंदी को छोड़कर सैनिक दलीप सिंह देश सेवा के लिए निकल पड़ा। 20 अक्टुबर को भारतीय सेना से खबर आई कि जाटोली गांव का बहादुर जवान दलीप सिंह हथियार, गोला-बारूद खत्म होने के बाद भी निहत्थे ही 20 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारकर शहीद हो गए। मात्र 21 वर्ष की आयु में अपनी शहादत से गांव जाटोली का गौरव बढ़ाने वाले बांके जवान की इस सूचना से हर ग्रामवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था।
पत्नी रामावती को मरते दम तक दलीप सिंह का रहा इंतजार
पति के इंतजार में शहीद दलीप सिंह की पत्नी रामावती जीवन पर्यन्त अपनी सुसराल में रही। पति की यादों के सहारे जीवन जीने वाली रामावती की पिछले दिनों मौत हो गई। क्षेत्र के लोग इस वीरांगना के समर्पण की मिसाल देते है।
आज तक नही है कोई स्मारक
देश पर अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले जिले के सबसे पहले शहीद हीरो ऑफ नेफा की याद में उनके पैतृक गांव कस्बे में कोई स्मारक व स्मृति स्थल नही है। हालांकि क्षेत्रवासियों द्वारा अनेकों बार शासन प्रशासन के सामने स्मारक बनवाने की मांग रखी जा चुकी है। लेकिन शासन प्रशासन उदासीन बना हुआ है।