प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया, जिसने कांग्रेस पार्टी को भारी टेंशन में डाल दिया। यह मामला महाराष्ट्र के महान योद्धा और मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान से जुड़ा है। शिवाजी महाराज को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों पर पीएम मोदी ने सख्त रुख अपनाते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज जैसे महान राष्ट्रनायकों का अपमान सिर्फ मराठाओं का नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी ने बार-बार देश के महान नायकों की विरासत को अनदेखा किया है और उनके योगदान को कमतर करने की कोशिश की है। इस तरह के बयान देकर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के लिए एक नया राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है।
शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र की राजनीति में विशेष महत्व है, और उनकी विरासत को लेकर राज्य में एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव है। ऐसे में पीएम मोदी की टिप्पणी ने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया है। कांग्रेस पार्टी को अब इस मुद्दे पर सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
इस घटनाक्रम का असर आगामी चुनावों में भी दिखाई दे सकता है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां शिवाजी महाराज का प्रभाव व्यापक रूप से फैला हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी की इस तीखी टिप्पणी ने न केवल कांग्रेस को जवाबदेही के लिए मजबूर कर दिया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि शिवाजी महाराज की विरासत का मुद्दा आगामी राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बनेगा। कांग्रेस के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, अगर पार्टी इस मुद्दे पर सही से प्रतिक्रिया देने में विफल रहती है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम ने कांग्रेस की रणनीतिक स्थिति को कमजोर किया है और पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है। इस मुद्दे को कैसे संभाला जाए, इस पर कांग्रेस के नेताओं में मतभेद दिखाई दे रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस इस संकट से कैसे निपटती है और पीएम मोदी के इस हमले का क्या जवाब देती है।