
19 september 2025 भारत की रक्षा रणनीति में 6-7 मई 2025 की रात हमेशा याद रखी जाएगी, जब भारतीय सुरक्षा बलों ने एक साहसिक अभियान चलाकर देश के दुश्मनों को करारा जवाब दिया। इस मिशन को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया और इसके सफल संचालन ने न केवल दुश्मन को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरी दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता का स्पष्ट संदेश भी दे दिया।इस कहानी की शुरुआत 22 अप्रैल से होती है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक दर्दनाक आतंकी हमला हुआ। उस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। भारत सरकार ने तुरंत कड़ा रुख अपनाया और पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के रिश्ते समाप्त करने का निर्णय लिया। इतना ही नहीं, भारत ने पाकिस्तान की ओर बहने वाले सिंधु नदी के पानी को भी रोक दिया, ताकि यह संदेश साफ़ हो कि अब आतंक को पनाह देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने योजनाबद्ध तरीके से प्रतिकार की तैयारी की। आखिरकार 6-7 मई की रात वह समय आया, जब विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा पार करते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर हमला बोला। इस अभियान में अत्याधुनिक तकनीक, खुफिया जानकारी और जमीनी स्तर पर बेहतरीन समन्वय का इस्तेमाल किया गया। परिणाम यह हुआ कि सौ से अधिक आतंकवादी मार गिराए गए।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 19 सितंबर को इस अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” ने यह साबित कर दिया कि भारत का प्रतिकार केवल तेज़ नहीं बल्कि इतना मजबूत भी है कि दुश्मन को साफ संदेश मिल जाए। उन्होंने कहा कि जिस समन्वय और साहस के साथ हमारी सेनाओं ने यह काम किया, वह दर्शाता है कि जीत अब भारत के लिए कोई अपवाद नहीं, बल्कि आदत बन चुकी है।
राजनाथ सिंह ने अपने बयान में यह भी कहा कि आज़ादी के बाद से भारत को पड़ोसियों के मामले में कभी भी आसान परिस्थितियाँ नहीं मिलीं। हमेशा नई चुनौतियाँ सामने आती रहीं, लेकिन भारतीयों की सबसे बड़ी खासियत यही रही कि हमने उन्हें किस्मत मानकर स्वीकार नहीं किया। इसके बजाय मेहनत, संकल्प और साहस से अपनी नियति खुद बनाई। यही सोच “ऑपरेशन सिंदूर” में भी दिखाई दी।इस अभियान ने न केवल भारत की सुरक्षा क्षमता को उजागर किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह संकेत दिया कि भारत आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है। पड़ोसी देश को यह साफ संदेश मिला कि भारत की शांति की इच्छा को उसकी कमजोरी न समझा जाए।
ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि यह भारत की नई नीति और बदलती मानसिकता का प्रतीक था। अब भारत केवल घटनाओं का शिकार बनने तक सीमित नहीं है, बल्कि दुश्मन को उसके घर में जाकर जवाब देने की क्षमता और इच्छाशक्ति रखता है। यह ऑपरेशन आने वाले समय में भी एक मिसाल के रूप में याद किया जाएगा कि किस तरह भारत ने अपने धैर्य, साहस और संकल्प से यह साबित कर दिया कि जीत अब उसकी स्थायी पहचान है।