नकली दवाओं का मामला उजागर
गुरुग्राम, 25 सितंबर: मुख्यमंत्री उडनदस्ता, ड्रग्स विभाग और क्राइम यूनिट सेक्टर 40 की संयुक्त टीम ने सैक्टर 39 स्थित मोहम्मदिया फार्मेसी पर छापेमारी कर नकली दवाओं का मामला उजागर किया है।
छापेमारी की पृष्ठभूमि
काफी समय से यह सूचना मिल रही थी कि सैक्टर 39 में एक फार्मेसी नकली दवाओं की बिक्री कर रही है। इस पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त टीम ने मोहम्मदिया फार्मेसी पर छापा मारा।
फार्मेसी के मालिक कोई बिल प्रस्तुत नहीं कर सके।
जब टीम फार्मेसी पहुंची, तो वहां के मालिक यूसुफ वासी नूंह मिले। जांच के दौरान, सिप्ला कंपनी की Tofajak 5 एमजी की 50 डिब्बियां बरामद हुईं, जिसमें प्रत्येक डिब्बे में 60 गोलियां थीं। जब टीम ने वैध बिल दिखाने को कहा, तो फार्मेसी के मालिक कोई बिल प्रस्तुत नहीं कर सके।
जांच में दवाई नकली पाई गई।
Tofajak दवा आर्थराइटिस की बीमारी के इलाज में काम आती है। शक के आधार पर, सिप्ला कंपनी के निदेशक को मौके पर बुलाया गया, जहां जांच में दवाई नकली पाई गई।
अन्य ठिकानों पर छापेमारी
पूछताछ में यूसुफ ने बताया कि यह दवाई नसीम वासी नूंह के द्वारा सप्लाई की जाती थी, जो सैक्टर 39 में किराये के मकान में रहता है। जब नसीम के घर पर रेड की गई, तो वहां से 964 डिब्बियां बरामद हुईं, जिनकी कुल कीमत लगभग 10 से 12 लाख रुपये बताई गई।
इस छापेमारी में यूसुफ के साथी जुबेर को भी हिरासत में लिया गया, जो दवाई की सप्लाई में सहायता कर रहा था। आरोपियों ने बताया कि दवाई की डिमांड के हिसाब से उन्हें सप्लाई की जाती थी। सप्लायर इन दवाइयों को 500 रुपये प्रति डिब्बी के हिसाब से देता था, जबकि फार्मेसी संचालक इसे 900 रुपये में बेचता था।
आरोपी और उनके शैक्षणिक योग्यता
यूसुफ 12वीं पास है और 2018 से मोहम्मदिया फार्मेसी चला रहा है। नसीम भी 12वीं पास है, जबकि जुबेर केवल 5वीं पास है। जुबेर ने जून 2024 से दवाई सप्लाई में मदद करना शुरू किया था।
गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
इस कार्रवाई में आरोपियों से तीन मोबाइल फोन और 2 लाख 67 हजार रुपये नकद बरामद हुए हैं। सभी तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मेडिकल एक्ट की धारा 18(सी), 18ए, 18बी और 17बी के तहत कार्यवाही की जा रही है। यूसुफ और नसीम को 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है, जबकि जुबेर को ज्यूडिशियल हिरासत में भेज दिया गया है।
आगे की जांच
दवाईयों के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे जाएंगे। ड्रग्स विभाग के द्वारा मेडिकल स्टोर को सील कर उनके लाइसेंस को रद्द करने की प्रक्रिया भी की जाएगी। पूरे मामले की जांच ड्रग्स विभाग द्वारा की जा रही है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि नकली दवाएं कहां बनाई जाती हैं और इन्हें कहां-कहां सप्लाई किया जाता है।