जाति जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मोदी सरकार के पाले में गेंद
सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस मामले में दाखिल एक याचिका पर विचार करने से शीर्ष अदालत ने इंकार कर दिया है। याचिका को पी. प्रसाद नायडू ने दायर किया था, जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराने की मांग की गई थी।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत जनगणना के मामले में याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया।
- याचिकाकर्ता पी. प्रसाद नायडू ने अदालत की अनुमति के बाद अपनी याचिका वापस ले ली।
- याचिका में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराने की मांग की गई थी, ताकि विभिन्न जातियों और उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आंकलन किया जा सके।
- सरकार का रोल:
- अब इस मुद्दे पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी मोदी सरकार पर है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह संकेत देता है कि आगे की प्रक्रिया और नीति निर्धारण सरकार के हाथ में होगा।
- विपक्ष की प्रतिक्रिया:
- विपक्ष ने जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया है, और इसे सामाजिक न्याय और नीति निर्धारण के महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में पेश किया है।
- सरकार की भूमिका: मोदी सरकार को अब यह तय करना होगा कि जातिगत जनगणना के संबंध में कौन सी नीति अपनाई जाएगी। यह निर्णय आने वाले समय में समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
- विपक्ष की रणनीति: विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर लगातार दबाव बनाए रखा जाएगा, और यह देखा जाएगा कि सरकार इस दिशा में कौन से कदम उठाती है।
इस फैसले ने जातिगत जनगणना के भविष्य को लेकर नई राजनीतिक चर्चा को जन्म दिया है और यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है जिसे सरकार और विपक्ष दोनों को ध्यान में रखना होगा।