हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुग्राम के पटौदी में एक विशाल रैली के दौरान अरबों रुपये की विकास योजनाओं की घोषणा की। हालांकि, रैली में जनता की मुख्य मांग, पटौदी को जिला बनाने की, को नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे स्थानीय लोगों में निराशा फैल गई।
पटौदी को जिला बनाने की मांग को नजरअंदाज किया
पटौदी क्षेत्र के लोग लंबे समय से इसे जिला घोषित करने की मांग कर रहे हैं। रैली में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस मांग को पूरा करने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन, मुख्यमंत्री ने इस मांग को नजरअंदाज करते हुए अन्य विकास कार्यों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार केवल उन्हीं मांगों को पूरा करेगी जो उसके पैमाने पर खरी उतरेंगी। इस बयान से लोगों की निराशा और बढ़ गई, क्योंकि वे जिला बनाने की मांग को लेकर काफी आशान्वित थे।
रैली में मनोहर लाल खट्टर का हावी होना
रैली के दौरान मंच से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की बजाय मनोहर लाल खट्टर का नाम बार-बार लिया गया, जबकि खट्टर रैली में उपस्थित नहीं थे। प्रवक्ताओं ने पटौदी के विकास कार्यों का श्रेय खट्टर को दिया। वहीं, मंच पर बैठे मुख्यमंत्री सैनी का नाम बहुत कम लिया गया। इसके अलावा, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, जो पटौदी-गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं, का नाम मंच से एक बार भी नहीं लिया गया। यह स्थिति तब है जब राव इंद्रजीत सिंह का राजनीतिक अनुभव मुख्यमंत्री सैनी और खट्टर से कहीं अधिक है।
भोडा कला में उपेक्षित मांगें
भोडा कला, जो जिले का सबसे बड़ा गांव है, में पटवार घर और तहसील की मांग की गई थी। हालांकि, इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां तक कि मुख्यमंत्री से मिलने की चाहत रखने वाले प्रतिनिधिमंडल को भी मंच से दूर रखा गया। इस उपेक्षा ने लोगों में गहरा असंतोष पैदा कर दिया।
रैली के बाद ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था
मुख्यमंत्री के जाने के बाद पटौदी मंडी में भारी ट्रैफिक जाम हो गया। ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई और अधिकारी भी इस जाम में फंस गए। रैली समाप्त होने के बाद पुलिसकर्मी मौके से गायब हो गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
राव समर्थकों को मिला सीमित स्थान
रैली के मंच पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के कुछ समर्थकों को स्थान तो मिला, लेकिन उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं दी गई। कुछ समर्थकों को तो रैली में खड़े रहना पड़ा, जो उनके लिए अपमानजनक अनुभव रहा।
मुख्यमंत्री का देर से पहुंचना
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रैली में दो घंटे की देरी से पहुंचे। इस देरी ने जनता में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी थी। लोगों को लगा कि शायद मुख्यमंत्री रैली में नहीं आएंगे, लेकिन देरी के बावजूद वे अंततः पहुंचे।
निष्कर्ष
पटौदी रैली में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा की गई घोषणाएं जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। पटौदी को जिला बनाने की मांग को अनदेखा करना, मंच पर मनोहर लाल खट्टर का अधिक उल्लेख, और राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की उपेक्षा, इन सबने मिलकर जनता के बीच असंतोष और निराशा को बढ़ाया है। आगामी विधानसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है, खासकर पटौदी क्षेत्र में, जहां लोग अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं।
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