- बाल संत समागम में दिए ज्ञान व कर्म के संदेश
- गुरुग्राम 26 जून, बाल अवस्था से ही भक्ति मजबूत हो सकती है जब बच्चों को इससे जोड़ा जाए। बच्चे तो कोरे कागज की तरह होते हैं इन्हें जैसी हम शिक्षा देंगे, जैसा हम कर्म करेंगे वैसा ही बच्चे सीखते जाएंगे। बच्चों को दिया जाने वाला ज्ञान कर्म में ढालना जरूरी है।
- यह उद्गार संत निरंकारी मंडल के भिवानी के जोनल इंचार्ज बलदेव राज नागपाल ने गुरुग्राम के सैक्टर 31 स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित बाल संत समागम पर व्यक्त किए।
- उन्होंने कहा कि बच्चे बाल्यकाल से ही आध्यात्मिकता से जुड़ जाते हैं और उनमें एक दूसरे के प्रति सेवा की भावना आ जाती है। वे बचपन से ही सभी को प्रभु परमात्मा निरंकार की संतान मानते हुए सभी का आदर सत्कार करते हुए जीवन में आगे बढ़ते हैं। वे बड़े होकर समाज व देश के हितकारी बनते हैं। बचपन में ही सीखी कल्याण की भावनाओं से युक्त होकर जीवन जीते हुए वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनते हैं।
- उन्होंने सभी भक्तों और छोटे बच्चों की भक्ति भावनाओं को देखते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी की ओर से भी मुबारकबाद दी। उन्होंने बाल भक्तों द्वारा प्रस्तुत की गई स्किट, कविताओं, भजन, गीत, व्याख्यान आदि को भी सराहा। बच्चों के चेहरों पर खुशी और उत्साह देखकर हर एक ने करतल ध्वनि से भी बच्चों को बधाई दी।
- इस बाल संत समागम के अवसर पर संत निरंकारी मिशन की समाज कल्याण एवं देश हित में की गई सेवाओं को भी दर्शाया गया। जिसमें बच्चों ने आपदा सेवा, रक्त दान, स्वच्छता अभियान, पौधा रोपण, पर्यावरण एवं जल संरक्षण प्रोजेक्ट अमृत, गुरमत की भावना, नफरत और वैर को मिटाने और एक दूसरे से प्रेम करने की भावना, समाज कल्याण, देश हित की भावना आदि की अनेकों कलाकृतियां एवं पेंटिंग बना कर प्रदर्शित की गई। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के प्रवचनो के साथ बाल समागम की तैयारियों में लगे सेवादारों पर एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई।
- इस बाल संत समागम में सैक्टर 31 ब्रांच के मुखी संजय चुघ, गुरुग्राम की संयोजक बहन निर्मल मनचंदा ने सभी का आभार व्यक्त किया और बच्चों का उत्साह बढ़ाया। निरंकारी सेवादल ने सभी प्रकार की सेवाओं को निभाया और सभी ने लंगर प्रसाद को ग्रहण किया।