सिरसा, 23 मई। हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग (एचईआरसी) की सिफारिश को खारिज करते हुए किसानों के बिजली चोरी जुर्माने में वृद्धि के आदेश को रद्द कर दिया है. अब एचईआरसी के आदेश मानने के लिए सरकार बाध्य नहीं है. सरकार ने यूएचबीवीएन द्वारा जारी बढ़ी दरों के सर्कुलर को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि पुराने नियम के अनुसार एक मेगावाट पर 2 हजार रुपये तथा इससे अधिक 10 मेगावाट तक 20 हजार रुपये जुर्माना करने का प्रावधान था और अब भी पुराने नियम प्रदेश में लागू रहेगे. बिजली मंत्री रणजीत सिंह मंगलवार को स्थानीय लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे.
रणजीत सिंह ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में साढे 9 हजार मेगावाट प्रतिदिन की बिजली की खपत है, जिसे प्रदेश के बिजली निगमों द्वारा पूरा किया जा रहा है. पिछले वर्ष में अधिकतम बिजली की खपत 12 हजार 185 मेगावाट थी, जून और जुलाई माह सबसे अधिक गर्मी का प्रभाव होता है और फसलों में भी पानी की जरूरत बढ़ जाती है, उन दिनों में 12 हजार मेगावाट प्रतिदिन की बिजली की खपत होती है.
बिजली मंत्री ने कहा कि खेदड़ के दोनों यूनिट से 1200 मेगावाट बिजली, यमुनानगर के दोनों यूनिट से 700 मेगावाट, पानीपत के तीन यूनिट में से दो चल रहे हैं तथा एक यूनिट में तकनीकी खामी है जिसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. इसके अलावा प्रदेश को केंद्र सरकार से भी बिजली मिल रही है. प्रदेश वासियों को बिजली के मामले में कभी कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी.
सरकार द्वारा 2018 तक लगभग 50 हजार लोगों ने सोलर ट्यूबवेल के लिए पैसे जमा करवाए थे, उन्हें लगभग कनेक्शन जारी किए जा चुका हैं, अब केवल जमीनी विवाद, कोर्ट केस या कोई व्यक्ति शर्तें पूरी नहीं कर रहा है, ऐसे लोगों के कनेक्शन लंबित है. अब वर्ष 2019, 2020 व 2021 में आए लगभग 61 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें 10 मेगावाट के 31 हजार सोलर मेगावाट के आवेदन शामिल हैं, जो अगले छह माह में दे दिए जाएंगे, शेष 29 हजार कनेक्शन की प्रक्रिया इसी एक वर्ष में पूरी कर दी जाएगी. सोलर पैनल पर 30 प्रतिशत केंद्र तथा 45 प्रतिशत राज्य सरकार सब्सिडी दे रही है.
बिजली मंत्री ने बताया कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल व पानीपत में स्मार्ट मीटर लगाने शुरु कर दिए हैं। अब तक सात लाख मीटर लगाए जा चुके हैं. उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे बिजली जरूरत के मुताबिक ही उपयोग करें ताकि ऊर्जा संरक्षित की जा सके.