भाजपा ने मनोहरलाल को दिया फ्री हैंड, प्रदेश प्रधान बदलने पर कांग्रेस से मिलने वाली चुनौती नहीं हुई कम, कांग्रेस अब बदलेगी अपनी चुनावी रणनीति
भाजपा ने मनोहरलाल को दिया फ्री हैंड, प्रदेश प्रधान बदलने पर कांग्रेस से मिलने वाली चुनौती नहीं हुई कम, कांग्रेस अब बदलेगी अपनी चुनावी रणनीति
ईश्वर धामु
हरियाणा में भाजपा अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है। पार्टी ने जाट नेता ओम प्रकाश धनखड़ को प्रदेश प्रधान पद से हटा कर पिछड़े वर्ग से सांसद नायब सिंह सैनी को प्रदेश की बागडार देकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भाजपा लोकसभा की सभी दसों सीटें जीतना चाहती है और प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनायेगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यह समझा दिया गया था कि पार्टी संगठन और सरकार एक गति से एक दिशा में नहीं चल रही है। संगठन प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ और मुख्यमंत्री मनोहरलाल के विचार एक पटरी पर सटीक नहीं बैठ पा रहे थे। दोनों के आपसी सम्बंध अब तो जगजाहिर हो गए थे और धनखड़ ने भी जोश में आकर अपने दिल का लोगों के सामने खोल कर रख दिया था कि वें एक नम्बर की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं। पर हुआ इस चाहत के विपरित कि एक नम्बर के चक्कर में दो नम्बर की कुर्सी भी चली गई। यह तो अब सभी जान चुके हैं कि ओम प्रकाश धनखड़ कृषि मंत्री और प्रदेश प्रधान के रूप में मुख्यमंत्री मनोहरलाल की पशंद नहीं रहे। धनखड़ के प्रदेश प्रधान बनते ही मनोहरलाल अंदरखाने उनके विरोध में उतर गए थे। क्योकि वें अपनी पशंद के नेता को प्रदेश प्रधान बनवाना चाहते थे। बताया गया है कि उस समय भी उनकी पशंद पर सांसद नायब सिंह सैनी ही थे। सैनी प्रदेश में मंत्री रहते हुए भी मुख्यमंत्री के समीपी रहे।
पार्टी आलाकमान ने पिछड़ो पर दांव लगा दिया
फिर मुख्यमंत्री की मेहरबानी से उनको कुरूक्षेत्र से लोकसभा का टिकट मिला और वें चुनाव जीत गए। अब सैनी को प्रदेश प्रधान बनवाने में मनोहरलाल का पूरा हाथ है। चर्चाकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री का दिल्ली दरबार में हाजरी देने के पीछे भी यही मकसद था कि वें शीर्ष नेताओं को हरियाणा में तीसरी आर सरकार बनाने के लिए जातीय समीकरण समझाएं। अंत में वें इस मकसद में कामयाब हो गए और पार्टी आलाकमान ने पिछड़ो पर दांव लगा दिया। इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री मनोहरलाल एक विजेता बहादूर के रूप में उभार कर सामने आए हैं। निसंदेह संगठन में हुई फेरबदल ने मनोहरलाल का राजनैतिक कद बढा दिया। उनकेे राजनैतिक पथ में सबसे बड़ी रूकावट धनखड़ को किनारे पर कर गिया गया। कहा जा रहा है कि अब मनोहरलाल खुल कर ख्ेाला खेलेंगे। चर्चाकार बताते हैं कि भाजपा आलाकमान
मुख्यमंत्री मनोहरलाल एक विजेता बहादूर के रूप में उभार कर सामने आए
की आपेक्षाओं पर धनखड़ पूरा नहीं उतरे थे। क्योकि वें जाट वोटरों को पार्टी से नहीं जोड़ पा रहे थेे। हालांकि उन्होने अपने स्तर पर प्रयास किए पर किए गए प्रयास कामयाबी नहीं ला पाए। राजनैतिक हालात ऐसे बने कि जाट वोटर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और जेजेपी की ओर जाने लगा। कहते हैं कि पार्टी ने 25 प्रतिशत जाट वोटर को छोड़ कर 32 प्रतिशत के करीब पिछड़े वर्ग को निशाना बनाया। पहले भी भाजपा की जीत में पिछड़े वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है तो पिछला रिकार्ड देखते हुए भाजपा ने नायब सिंह सैनी पर भरोसा जता कर जीटी रोड बैल्ट और पिछड़े वर्ग को साधने का निर्णय लिया। इस तरह भाजपा ने जाट और गैर-जाट के फार्मूले से हट कर निर्णय ले लिया। अब मुख्यमंत्री भी गैर-जाट हैं और प्रदेश प्रधान भी। ऐसे में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बढ़ गई है तो नए प्रदेश प्रधान की लोकसभा चुनाव में अग्रि परीक्षा होगी।
मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रधान दोनोंं को परीक्षा के दौर से गुजरना होगा
लोकसभा चुनाव के करीब 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रधान दोनोंं को परीक्षा के दौर से गुजरना होगा। क्योकि प्रदेश प्रधान बदल कर भाजपा आलाकमान ने मनोहरलाल को हरियाणा मेें फ्री हैंड दे दिया है और उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया है। वर्तमान परिदृष्य में तो यह भी दिखाई देता है कि चुनाव के समय मनोहरलाल का टिकट बंटवारे में पूरा दखल रहेगा और उनके कहे अनुसार अधिक से अधिक टिकटें दी जायेगी। ऐसे में अगर वें तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हो जाते हें तो लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले मनोहरलाल पहले नेता हो जायेंगे। पर भाजपा के बड़े दांव के बाद भी चुनाव में उसको कांग्रेस से मिलने वाली चुनौती ढ़ीली नहीं हुई है। क्योकि चुनावी राज्यों में पिछड़े वर्ग को अधिक से अधिक टिकट देकर कांग्रेस ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि आने वाले लोकसभा और हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी पिछड़ा वर्ग को पूरा प्रतिनिधित्व देगी।
कांग्रेेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिया था
ऐसा संकेत अपनी पद यात्रा में कांग्रेेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिया था, जब हरियाणा में उनसे पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की थी। वैसे भी एससी और बीसी कांंग्रेेस का परम्परागत वोट रहा है। परन्तु 2014 के चुनाव में पिछड़ा वर्ग का वोटर मोदी के नाम पर भाजपा की ओर खिसक गया था। लेकिन अब अपनी उपेक्षा के चलते बीसी वोटर ने फिर से कांग्रेेस की राह पकडऩी शुरू कर दी। पिछड़ वर्ग के वोटर को अपनी ओर करने के लिए भाजपा ने बीसी वर्ग से प्रदेश प्रधान बना दिया। अब नए प्रदेश प्रधान नायब सिंह सैनी पिछड़ा वर्ग को भाजपा से साथ कितना जोड़ पाते हैं, यह देेखने वाली बात होगी। इसी संदर्भ में यह भी बताया गया जा रहा है कि अब कांग्रेस भी अपनी चुनावी रणनीति में बड़ा फेरबदल करेगी।