- मार्च का माह कोलोरेक्टल अवेयरनेस माह के रूप में मनाया जाता है
गुरुग्राम, 30 मार्च|
कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम, समय पर पहचान, इलाज व उपचार के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मेदांता-गुरुग्राम में कोलोरेक्टल कैंसर अवेयरनेस माह मनाया जा रहा है. कोलोन कैंसर के आधिकारिक रंग नीली रोशनी में भीगे हुए इस हॉस्पिटल ने इस बीमारी के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए प्रवेश द्वार पर एक अभिनव आँतों के आकार की सुरंग बनाई है. मेदांता में आने वाला हर आगंतुक इस सुरंग के माध्यम से एक शिक्षाप्रद प्रदर्शनी से होकर गुजरेगा, जिसमें कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों और विभिन्न चरणों के बारे में बताया गया है. दिलचस्प और दिखने में आकर्षक अनुभव पेश करते हुए यह सुरंग एक अद्वितीय माध्यम है जिसके द्वारा चिकित्सा की दृष्टि से उपयोगी जानकारी दी जा रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह याद रहे. यहाँ पर अग्रणी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और गैस्ट्रो सर्जन अनेक जागरुकता कार्यक्रम चला रहे हैं, विशेषज्ञों द्वारा निशुल्क परामर्श दिए जा रहे हैं, और प्रिवेंटिव स्क्रीनिंग कार्यक्रम रियायती दरों पर प्रदान किए जा रहे हैं.
मेदांता के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. नरेश त्रेहान ने बताया, ‘‘भारत में कोलोन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हालाँकि, हमारे देश में इलाजों के परिणाम की दृष्टि से बहुत कुछ अपेक्षित है क्योंकि इस बीमारी के ज्यादातर मामले बहुत देर से सामने आते हैं, जिससे मरीज को बचाए जाने की संभावना बहुत कम हो जाती है. इस बीमारी को ठीक करने के लिए सबसे प्रभावशाली उपाय इसकी समय पर पहचान और इलाज शुरू कराया जाना है. भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के बारे में समाज में काफी कम जागरुकता है. जिन लोगों में थोड़ी जागरुकता है, वो भी तत्काल मेडिकल परामर्श लेने में हिचकिचाते हैं. इन अभियानों द्वारा हम इस बीमारी की जागरुकता बढ़ा रहे हैं. हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वो जब भी जरूरत महसूस हो, तुरंत मेडिकल परामर्श लें.
डॉ. आदर्श चौधरी, चेयरमैन, जीआई सर्जरी, जीआई ऑन्कोलॉजी एवं बेरियाट्रिक सर्जरी, इंस्टीट्यूट ऑफ डाईजेस्टिव एंड हेपेटोबिलियरी साईंसेज़, मेदांता गुरुग्राम ने कहा, ‘‘अन्य प्रकार के कैंसर से अलग, कोलोरेक्टल कैंसर यदि समय पर पहचान में आ जाए, तो इसका दीर्घकालिक इलाज काफी अच्छा परिणाम देता है. सेहतमंद आहार लेकर, शारीरिक रूप से चुस्त बने रहकर, धूम्रपान का त्याग करके, और मदिरासेवन बंद करके इस बीमारी की रोकथाम करने में काफी मदद मिलती है. आहार एवं जीवनशैली में संशोधन करके कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम काफी कम किया जा सकता है और इस बीमारी के मामले घटाने में स्क्रीनिंग में मदद की जा सकती है.
डॉ. अमनजीत सिंह, डायरेक्टर एवं हेड, कोलोरेक्टल सर्जरी, जीआई सर्जरी विभाग, मेदांता गुरुग्राम ने कहा, ‘‘कोलोरेक्टल कैंसर की चर्चाएं आमतौर से कम होती हैं, लेकिन इसके मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. मेदांता गुरुग्राम इस बीमारी और इसकी रोकथाम की जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी जीवनशैली में उन चीजों को पहचानें, जो इस बीमारी को बढ़ाने में मदद करती हैं. इसके अनुवांशिक कारणों को छोड़कर जोखिम के ज्यादातर तत्वों में सुधार किया जा सकता है, इसलिए इस बीमारी को रोकना संभव है.’’
कोलोरेक्टल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो कोलोन या रेक्टम या गुदा-द्वार में बनता है. इसे कोलोन कैंसर भी कहा जाता है. यह अक्सर पॉलीप अथवा ऊतकों की असामान्य वृद्धि के रूप में शुरू होता है और समय के साथ यह एक ट्यूमर में विकसित हो सकता है. इसके लक्षणों में प्रमुखतया, मल में खून आना, मल त्यागने की आदतों में बदलाव, पेट में दर्द और वजन घटना शामिल हैं. इसके उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी विकिरण चिकित्सा या इनमें से एक अथवा एक से अधिक प्रकार के इलाज शामिल हो सकता है.