कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान महिला सशक्तिकरण को लेकर एक सशक्त संदेश दिया, जो वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है। उन्होंने एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा, “मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास करता हूं”, और महिलाओं के अधिकारों और समानता की पैरवी की। उन्होंने यह भी जोर दिया कि किसी भी समाज या देश की प्रगति तब तक अधूरी है, जब तक उसमें महिलाओं को समान अधिकार और अवसर नहीं मिलते। राहुल गांधी के इस बयान को नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो उनके वैश्विक दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल सामाजिक सुधार का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार भी है। उन्होंने कहा, “जब महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, और नेतृत्व के अवसर दिए जाते हैं, तो इसका असर सिर्फ समाज पर नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को समान अवसर मिलने से देश की प्रगति को गति मिलती है और यह एक समृद्ध समाज की आधारशिला बनती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, लेकिन अभी भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि देश में महिलाओं के प्रति हिंसा, भेदभाव और असमानता जैसी समस्याएं अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। राहुल गांधी ने कहा कि केवल महिला सशक्तिकरण से ही समाज का समग्र विकास संभव है।राहुल गांधी ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी कांग्रेस हमेशा से ही महिलाओं के अधिकारों की हिमायती रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कई ऐसी नीतियों और योजनाओं की शुरुआत की है, जिनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि राजनीति में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए अभी और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक का भी जिक्र किया, जिसे कांग्रेस ने लंबे समय से समर्थन दिया है, और यह सुनिश्चित करने की मांग की कि संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया जाए।राहुल गांधी ने यह भी कहा कि महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण का मुद्दा सिर्फ भारत का नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग और जागरूकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों को भी इस दिशा में बेहतर काम करने की आवश्यकता है, ताकि महिलाओं को समान अवसर और अधिकार मिल सकें।
राहुल गांधी ने अमेरिका में दिए अपने इस भाषण के दौरान महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें हिंसा से बचाने के लिए कड़े कानूनों की भी वकालत की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि महिलाओं के प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा या भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।राहुल गांधी के इस बयान को न केवल भारत में बल्कि अमेरिका में भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। महिलाओं के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सराहा जा रहा है। कई सामाजिक संगठनों और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों ने उनके इस बयान की तारीफ की और इसे महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति कांग्रेस पार्टी के मजबूत दृष्टिकोण के रूप में देखा।
राहुल गांधी के इस भाषण से यह स्पष्ट है कि वह महिलाओं के सशक्तिकरण को न केवल सामाजिक बदलाव का हिस्सा मानते हैं, बल्कि इसे समृद्ध समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ भी मानते हैं। उनका यह बयान महिलाओं को समान अधिकार दिलाने और उन्हें समाज में उचित स्थान देने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम माना जा रहा है।