योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए उत्तर प्रदेश के 39,000 सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रोकने का निर्णय लिया है। यह निर्णय उन कर्मचारियों पर लागू होगा जिन्होंने समय पर अपनी सर्विस बुक अपडेट नहीं करवाई है। सरकारी नियमों के अनुसार, कर्मचारियों को अपनी सर्विस बुक में जानकारी अपडेट करनी होती है, जो उनके वेतन और अन्य लाभों के लिए महत्वपूर्ण होती है।
सरकार ने पाया कि कई सरकारी विभागों में कर्मचारियों की सर्विस बुक अपडेट नहीं की गई है, जिसके चलते उन्हें वेतन भुगतान में समस्या हो रही है। इस मुद्दे को सुधारने के लिए योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐसे कर्मचारियों की सैलरी रोकने का फैसला किया है, जिनकी सर्विस बुक में आवश्यक जानकारी समय पर अपडेट नहीं की गई है।
योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार के अनुसार, समय पर सर्विस बुक अपडेट नहीं करना एक गंभीर प्रशासनिक चूक है, जिससे सरकारी प्रक्रियाओं में रुकावटें पैदा होती हैं।
इस फैसले का असर उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे लगभग 39,000 कर्मचारियों पर पड़ेगा। यदि ये कर्मचारी समय पर अपनी सर्विस बुक को अपडेट नहीं करवाते हैं, तो उनकी सैलरी तब तक नहीं दी जाएगी जब तक सभी आवश्यक जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो जाती।
सरकारी कर्मचारियों के बीच इस फैसले को लेकर चिंता और असंतोष देखा जा रहा है। कई कर्मचारी इसे अत्यधिक कठोर कदम मान रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें इस काम को पूरा करने के लिए उचित समय नहीं दिया गया। वहीं, कुछ कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय का विरोध भी किया है और इसे कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ बताया है। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार इस फैसले को वापस ले और कर्मचारियों को अपनी सर्विस बुक अपडेट करने के लिए और अधिक समय दे।
सरकार ने साफ कर दिया है कि सैलरी बहाल करने के लिए कर्मचारियों को अपनी सर्विस बुक अपडेट करनी होगी। यदि सभी जानकारी समय पर सही तरीके से दर्ज हो जाती है, तो कर्मचारियों की रुकी हुई सैलरी अगली भुगतान अवधि में जारी की जा सकती है।
योगी सरकार के इस फैसले ने सरकारी कर्मचारियों में अनुशासन बनाए रखने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि सरकार इस मुद्दे पर कोई और राहत देती है या नहीं।