कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक रैली के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पार्टी की राज्य अध्यक्ष कुमारी सैलजा के बीच हाथ मिलवाकर पार्टी में एकता का संदेश देने का प्रयास किया। यह घटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि हाल के दिनों में टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में असंतोष और नाराजगी की स्थिति बनी हुई थी।
कुछ सांसदों ने टिकट बंटवारे के दौरान जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी। इस मुद्दे के चलते कई सांसदों ने प्रचार का काम भी छोड़ दिया था, जिससे कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह स्थिति पार्टी के भीतर के आंतरिक मतभेदों को उजागर करती है, जिससे चुनावी माहौल में और भी तनाव उत्पन्न हो गया था।
राहुल गांधी ने इस स्थिति को सुधारने के लिए मंच पर हुड्डा और सैलजा के हाथ मिलवाने की पहल की, ताकि पार्टी में एकता का संदेश भेजा जा सके और कार्यकर्ताओं के बीच समर्पण और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस में सभी सदस्यों को समान महत्व दिया जाना चाहिए और पार्टी की एकता ही चुनाव में सफलता की कुंजी है।
यह कदम कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जब वह आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है। राहुल गांधी के इस प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी जातीय राजनीति से निपटने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है और वह अपने कार्यकर्ताओं के बीच आपसी सामंजस्य को बनाए रखने के लिए कदम उठा रही है।
इस घटनाक्रम ने कांग्रेस के भीतर की बंटवारे की स्थिति को उजागर किया और यह संदेश दिया कि पार्टी अपनी छवि को सुधारने और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। इससे यह भी उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी के प्रयासों से कांग्रेस अपने आधार को मजबूत करने और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होगी।