राजनीतिक तौर पर इस चुनाव में एक और खास बात यह है कि कांग्रेस की ओर से उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी भी तोशाम से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इस पर श्रुति ने साफ शब्दों में कहा, “मैं अपने चचेरे भाई को चुनाव में पटकनी दूंगी।” उनके इस बयान ने चुनावी गर्मी को और बढ़ा दिया है, क्योंकि अब यह मुकाबला सिर्फ दो राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि एक पारिवारिक टकराव के रूप में भी देखा जा रहा है।
श्रुति चौधरी ने कहा कि उनके लिए यह चुनाव पारिवारिक प्रतिस्पर्धा का सवाल नहीं है, बल्कि यह जनता की सेवा और उनके विश्वास का प्रश्न है। उन्होंने अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह खुद को जनता का असली प्रतिनिधि मानती हैं और जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए ही उन्होंने हमेशा काम किया है। उनके अनुसार, उनकी पार्टी और उनकी ओर से किए गए विकास कार्यों को देखते हुए जनता उन्हें एक बार फिर मौका देगी।
यह चुनाव तोशाम विधानसभा सीट पर बेहद दिलचस्प हो गया है, क्योंकि दोनों चौधरी परिवार के सदस्य आमने-सामने हैं। एक तरफ भाजपा से श्रुति चौधरी हैं, जिन्हें पार्टी ने उनके काम और जीतने की क्षमता को देखते हुए टिकट दिया है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस से अनिरुद्ध चौधरी, जो भी परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं।
श्रुति चौधरी का कहना है कि उनका मुख्य फोकस विकास और जनहित के मुद्दों पर रहेगा। उन्होंने जनता से वादा किया है कि अगर उन्हें मौका मिलता है, तो वह क्षेत्र के विकास के लिए पूरी निष्ठा से काम करेंगी। श्रुति ने कहा कि वह क्षेत्र की समस्याओं को अच्छी तरह समझती हैं और उनके समाधान के लिए पहले से ही योजनाएँ तैयार हैं।
भाजपा द्वारा टिकट मिलने के बाद श्रुति चौधरी का यह आत्मविश्वास और उनका परिवार के भीतर का यह चुनावी मुकाबला तोशाम विधानसभा को हरियाणा की राजनीति का केंद्र बना रहा है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि श्रुति अपने वादों और अनुभव के दम पर जनता का समर्थन कितनी प्रभावी तरीके से जुटा पाती हैं, और क्या वह अनिरुद्ध चौधरी के खिलाफ इस पारिवारिक और राजनीतिक मुकाबले में जीत हासिल कर पाएंगी।