भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) का एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री से मिला, जिसमें डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
बैठक का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और हमलों के मामलों को रोकना था। प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री के सामने अपनी चिंताओं को रखा और मांग की कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने बताया कि चिकित्सा पेशेवरों को काम के दौरान कई बार खतरे का सामना करना पड़ता है, और इसे रोकने के लिए उचित उपायों की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की मांग को गंभीरता से लिया और घोषणा की कि एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जो डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर काम करेगी। यह टास्क फोर्स न केवल डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि इसके तहत स्वास्थ्य सुविधाओं में सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी सुझाव दिए जाएंगे।
बैठक में सुरक्षा उपायों की विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे की स्थापना, सुरक्षा कर्मियों की संख्या में वृद्धि, और डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने जैसे सुझाव शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी सुझाव दिया कि सरकारी और निजी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने IMA के प्रतिनिधिमंडल की चिंताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि डॉक्टरों का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उन्हें सुरक्षित माहौल में कार्य करने का अधिकार है। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी और टास्क फोर्स के गठन के बाद जल्द ही आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए टास्क फोर्स का गठन एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चिकित्सा पेशेवरों को सुरक्षित और संरक्षित महसूस कराने में मदद करेगा। IMA और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच इस सहयोग से उम्मीद है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा और डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में कमी आएगी।