मनोहर लाल खट्टर का प्रयास पंजाबी समुदाय को एकत्रित करने का।
गुरुग्राम: हरियाणा में पिछले नौ वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने पंजाबी समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाने में नाकामी दिखाई है। इस अवधि में, खट्टर अपने समाज को एकजुट करने में सफल नहीं हो सके, जिससे आज पंजाबी समुदाय को अपने नेतृत्व की तलाश करनी पड़ रही है।
पंजाबी समुदाय की असंतोष
हरियाणा के पंजाबी समाज की मांग है कि उन्हें एक ऐसा नेता मिले जो उनके सुख-दुख को समझ सके और उनके लिए काम कर सके। खट्टर की सरकार ने समाज के प्रति कोई विशेष पहल नहीं की, जिसके कारण समुदाय अब अपने भविष्य के लिए चिंतित है। चुनावों के समय, खासकर गुरुग्राम, करनाल, और फरीदाबाद जैसे प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में, पंजाबी समुदाय का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, इस समय कोई बड़ा नेता उनके लिए उपलब्ध नहीं है जो उन्हें एकजुट कर सके।
खट्टर की कोशिशें
हालांकि, खट्टर अब पंजाबी समुदाय को एकत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं, ताकि विधानसभा चुनावों में उनके वोट बीजेपी के प्रत्याशियों के पक्ष में दिलवाए जा सकें। लेकिन, यह प्रयास अब थोड़े देर से किए जा रहे हैं। कई पंजाबी नेता पहले ही अन्य राजनीतिक पार्टियों में शामिल हो चुके हैं, जिससे खट्टर की स्थिति कमजोर हो गई है।
गुरुग्राम में पंजाबी समुदाय के प्रमुख सदस्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक
सूत्रों के अनुसार, खट्टर कल शाम 4:00 बजे गुरुग्राम में पंजाबी समुदाय के प्रमुख सदस्यों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक में क्या संदेश दिया जाएगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन खट्टर के कुछ करीबी नेताओं पर अभी भी उनका आशीर्वाद बना हुआ है।
समाज को एकजुट करने में विफलता दिखाई
हरियाणा के पंजाबी समुदाय को अब ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो उनकी आवश्यकताओं का सही ढंग से ध्यान रख सके। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल ने उनके समाज को एकजुट करने में विफलता दिखाई है, और अब समय आ गया है कि पंजाबी समुदाय अपने सशक्त नेता की तलाश करे। यदि खट्टर अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाते, तो यह संभव है कि आगामी चुनावों में पंजाबी समुदाय का बड़ा हिस्सा अन्य राजनीतिक दलों की ओर मुड़ जाए।