- हरियाणा पूरे देष का केवल 1.3 प्रतिषत है जबकि हमारे मैडल 50 प्रतिषत से अधिक – अनिल विज
- वर्तमान राज्य सरकार ने खेलों को बढावा देने के लिए खेल अवसरंचना पर विषेष बल दिया- विज
चंडीगढ़:हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा खेलों की धरती है और सारे देष में मैडलों की भूख हरियाणा मिटा सकता है। हरियाणा पूरे देष का केवल 1.3 प्रतिषत है जबकि हमारे मैडल 50 प्रतिषत से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि हमने खेलों को बढावा देने के लिए खेल अवसरंचना पर विषेष बल दिया है क्योंकि जब तक खिलाडियों को खेल अवसंरचना मुहैया नहीं होगी तब तक खिलाडी अपना बेहतर नहीं कर पाएंगें।
विज आज गुरूग्राम में विषेष ओलंपिक भारत के माध्यम से जर्मनी के बर्लिन में विषेष ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स- 2023 में भाग लेने जा रहे विषेष खिलाडियों व उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे।
अन्य प्रदेष के खिलाडी भी हरियाणा की खेल नीति को अपने राज्य में लागू करने के लिए मांग करते हैं – विज
उन्होंने कहा कि राज्य के शहर-षहर में नए स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। अगर अंबाला की बात की जाए तो विष्वस्तर का फुटबाल स्टेडियम अंबाला में बनाया गया है और वहां पर फुटबाल खेल को दोबारा से जिंदा करने का काम हुआ है। विज ने खेल नीति पर बोलते हुए कहा कि मैं जब पिछले कार्यकाल में खेल मंत्री था तो मैंने खिलाडियों को बिठाकर हरियाणा की खेल नीति को बनाने का काम किया क्योंकि नीतियां बनाने में कई बार गैप रह जाता है और इस गैप को पाटने के लिए मैंने हितधारकों अर्थात खिलाडियों को भी शामिल किया। इस कार्य को खिलाडियों ने तब काफी सराहा और कहा कि हमें आजतक किसी ने खेल नीति के बारे में नहीं पूछा और यह पहली बार है जब खेल नीति बनाने से पहले पूछा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज अन्य प्रदेष के खिलाडी भी हरियाणा की खेल नीति को अपने राज्य में लागू करने के लिए मांग करते हैं और कहते हैं कि हरियाणा की खेल नीति को उनके प्रदेष में लागू किया जाए।
ओलंपिक में दी जाने वाली राषि शायद देष में सबसे अधिक- विज
मैडलों के संबंध में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ओलपिंक में स्वर्ण पदक विजेता खिलाडी को 6 करोड रूपए, रजत पदक विजेता को 4 करोड रूपए और कांस्य पदक विजेता को 2.5 करोड रूपए की राषि पुरस्कार स्वरूप दी जाती है, जो देष में शायद सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पहले माता-पिता अपने बच्चों को कहते थे कि पढोगे लिखोगे- बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब। परंतु आज के परिपेक्ष्य में यह कहावत उलट हो गई और खिलाडियों को एक ओलंपिक मैडल लाने पर इतनी राषि मिल जाती है जितनी एक नौकरी करने के बाद भी नहीं मिलती।
मल्लिका नडडा जी ने विषेष खिलाडियों की पीडा को महसूस किया- विज
उन्होंने कहा कि रोज सूरज निकलता है और रोज सूरज डूब जाता है लेकिन आज का दिन एक विषेष दिन है क्योंकि आज हम जर्मनी के बर्लिन में विषेष ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स- 2023 में भाग लेने खिलाडियों को प्रोत्साहित कर भेज रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम जिंदगी की गहमागहमी में अपने कई दायित्वों को भूल जाते हैं क्योंकि हम वाटर टाइट कम्पार्टमेंट में रह रहे हैं और इस कम्पार्टमेंट में यदि हम किसी एक फूल को भी तोडते हैं तो सूूदूर तारे तक उसे महसूस किया जा सकता है। इसलिए समाज में जो पीडा जहां तक जाती है या पहुंचती है उसे सारे महसूस नहीं करते हैं उसे कुछ ही महसूस करते है। उन्होंने कहा कि आज इस पीडा को हमारे बीच में बैठी श्रीमती मल्लिका नडडा जी ने महसूस करते हुए विषेष ओलंपिक भारत के माध्यम से ऐसे लोगों को आम लोगों की तरह कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए आगे बढाने का काम किया है।
क्षमता और अवसर के साथ ही सफलता प्राप्त हो सकती है – विज
विज ने कहा कि क्षमता और अवसर के साथ ही सफलता प्राप्त हो सकती है। इन विषेष खिलाडियों में भी क्षमता है परंतु आज श्रीमती मल्लिका नडडा जी ने इन बच्चों को अपनी क्षमता दिखाने का अवसर प्रदान किया है। जिसके लिए वे अपने दिल की गहराईयों से उनका, संगठन और तमाम लोगों का इसमें सहयोग देने के लिए आभार प्रकट करते हैं।