हरियाणा प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में टिकटों के वितरण को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है। हाल ही में सोशल मीडिया पर इन दोनों पार्टियों की टिकटों की फर्जी सूचियों के वायरल होने से स्थिति और भी जटिल हो गई है। इन फर्जी सूचियों के कारण न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं बल्कि आम जनता में भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इस प्रकार की घटनाओं से सबसे बड़ा खतरा यह है कि जब वास्तविक टिकट सूची जारी होगी, तब भी लोगों के मन में संदेह बना रह सकता है। फर्जी सूचियों के प्रसार से यह आशंका पैदा हो गई है कि कहीं इसके पीछे चुनावी माहौल को भटकाने, पार्टियों के भीतर असंतोष पैदा करने और जनता के विश्वास को कमजोर करने की कोई सोची-समझी साजिश तो नहीं है।
दोनों ही पार्टियों ने इस मामले पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं पर ही भरोसा करें और किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारी से बचें। इसके साथ ही, पार्टियों ने साइबर सेल से भी अनुरोध किया है कि वे इन फर्जी सूचियों के प्रसार के पीछे के जिम्मेदार लोगों का पता लगाएं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
इन फर्जी सूचियों के कारण कई संभावित उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं। टिकटों की असली सूची जारी होने पर भी लोगों को उस पर शक हो सकता है, जिससे पार्टी के भीतर विवाद बढ़ने की संभावना हो सकती है।
चुनाव के नजदीक आते ही, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा और कांग्रेस इन फर्जी सूचियों के कारण उत्पन्न हुए असमंजस और असंतोष को किस तरह से संभालते हैं। इसके साथ ही, यह भी देखना होगा कि किस तरह से ये दल अपनी-अपनी आधिकारिक उम्मीदवार सूची जारी करते हैं और किस प्रकार जनता का विश्वास पुनः हासिल करते हैं।
इस घटनाक्रम ने हरियाणा के चुनावी माहौल में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है, जहां सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी होंगी कि क्या वास्तविक सूची जारी होने के बाद भी कोई नया विवाद खड़ा होता है या नहीं। आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि इन फर्जी सूचियों का चुनावी नतीजों पर कितना असर पड़ता है।
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