हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी
नई दिल्ली, 5 अगस्त- हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज चंडीगढ़ में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार हरियाणा सरकार के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की पेंशन/पारिवारिक पेंशन (2016 से पूर्व और 2016 के बाद) में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
संशोधन के अनुसार, अब 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए, मौजूदा मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन (31 दिसंबर 2015 तक) को 2.81 के कारक से गुणा करके संशोधित किया जाएगा। वैकल्पिक रूप से, हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) और हरियाणा वरिष्ठ न्यायिक सेवा पुनरीक्षित वेतन नियम, 2023 की फिटमेंट तालिका के अनुसार उनके वेतन को नोशनली निर्धारित करके पेंशन/पारिवारिक पेंशन को संशोधित किया जा सकता है।
मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होगी
2016 के बाद सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए, पेंशन गणना हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 34 के प्रावधानों के तहत होगी। इसके अलावा, समय-समय पर जारी आदेशों के अनुसार पेंशन/पारिवारिक पेंशन की अतिरिक्त राशि पर महंगाई राहत स्वीकार्य होगी। मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होगी, जब भी महंगाई भत्ते में वृद्घि होगी, मूल वेतन का 50 प्रतिशत बढ़ेगा और ग्रेच्युटी की सीमा में 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी की जाएगी।
पेंशन संवितरण प्राधिकारी पहले से भुगतान की गई अंतरिम राहत को समायोजित करने के बाद, पहली जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन/पारिवारिक पेंशन के बकाया की गणना और संवितरण करेंगे। पेंशन/पारिवारिक पेंशन की गलत गणना के कारण किसी भी अतिरिक्त भुगतान को वापस करने के लिए पेंशनभोगियों से अंडरटेकिंग ली जाएगी।
अब आयोग के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति पर भी विचार किया जाएगा
हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक आज मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई जिसमें हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन करने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) संशोधन अध्यादेश, 2024 के प्रारूप को मंजूरी दी गई।
प्रस्तावित ड्राफ्ट अध्यादेश के अनुसार, अब हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होगा, यदि उसे नियुक्त किया जाता है, और यदि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाता है, तो जिला न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है। अगर जिला न्यायाधीश को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाता है, तो आयोग के तीन चयनित सदस्यों में से एक को वरिष्ठता (यह वरिष्ठता सेवा में रहने की हो या बार में प्रैक्टिस की ) के आधार पर अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। ड्राफ्ट के अनुसार अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल उसके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष होगा।
सेवानिवृत्ति पर इस रूप में 10 वर्ष से कम का कार्यकाल नहीं
वर्तमान में, अध्यक्ष को इस योग्यता के साथ नियुक्त किया जाता है कि उसकी सेवानिवृत्ति या इस्तीफे के समय, वह एक जिला न्यायाधीश था और उसकी सेवानिवृत्ति पर इस रूप में 10 वर्ष से कम का कार्यकाल नहीं था। हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण है, जिसके निर्णय अंतिम होते हैं। गुरुद्वारा संपत्ति, उसके फंड तथा गुरुद्वारा कमेटी, कार्यकारी बोर्ड या किसी अन्य संस्था के बीच चल रहे झगड़ों से संबंधित विवादों का निर्णय आयोग द्वारा किया जाना है। इसलिए यह उचित समझा गया है कि आयोग के सदस्य और अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर भी विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अध्यादेश में धारा-46 की उप-धारा (1) के खंड (iv) में दी गई 65 वर्ष की आयु की ऊपरी सीमा को भी हटा दिया गया है। उक्त संशोधन वर्ष 2014 के हरियाणा अधिनियम 22 की धारा 46 में किया गया है।