नई दिल्ली, 14 सितंबर – आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, और दिल्ली सरकार के कई मंत्री हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए उतरने वाले हैं। इसके अलावा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी प्रचार अभियान का हिस्सा होंगे। पार्टी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी चुनावी तैयारियों की देखरेख कर रहे हैं।
AAP ने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं और पार्टी ने राज्य में एक व्यापक प्रचार अभियान की योजना बनाई है। पार्टी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल और उनके नेताओं के प्रचार से भाजपा और कांग्रेस की पोल खुलेगी।
फरीदाबाद और बल्लभगढ़ में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह ने पहले ही अपने उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार शुरू कर दिया है। गुरुग्राम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पत्नी भी चुनाव प्रचार में शामिल होंगे। इसके अलावा, लाडवा में केजरीवाल, सिसोदिया, संजय सिंह और दिल्ली के अन्य मंत्री एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे।
AAP के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति हरियाणा चुनाव में एक नया मोड़ ला सकती है। केजरीवाल की लोकप्रियता और दिल्ली सरकार के कामों के आधार पर हरियाणा में AAP को उम्मीद है कि वह चुनावों में एक प्रमुख ताकत बन सकती है। पार्टी के प्रचार अभियान के चलते भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार भी तेजी से अपने चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
AAP का फोकस राज्य के मतदाताओं को दिल्ली मॉडल की सफलताओं से अवगत कराना है। खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, और बिजली जैसी बुनियादी सेवाओं पर किए गए कार्यों को प्रमुखता से पेश किया जाएगा। पार्टी का मानना है कि हरियाणा में भी लोग उसी तरह की सेवाओं की उम्मीद कर रहे हैं, जैसी दिल्ली में दी जा रही हैं।
AAP के इस आक्रामक प्रचार अभियान ने हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस की रणनीतियों पर भी असर डाला है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। भाजपा और कांग्रेस को AAP की बढ़ती सक्रियता के चलते मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
AAP के नेताओं की जनसभाओं और रैलियों से चुनावी माहौल में गर्मी आ गई है। आम आदमी पार्टी की यह रणनीति न केवल भाजपा के लिए बल्कि कांग्रेस के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।