महाराष्ट्र, 18 दिसंबर 2025
महाराष्ट्र में बीएमसी सहित 29 नगर निगम चुनावों का ऐलान हो चुका है और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस चुनावी माहौल में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार का मुंबई से दूर रहना कई सवाल खड़े कर रहा है।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इस पर खुलकर टिप्पणी की और कहा कि शरद पवार को डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ अपने रिश्तों और मुंबई से दूरी पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
बीएमसी चुनाव का महत्व और शरद पवार की गैर-मौजूदगी
बीएमसी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में बेहद अहम माने जाते हैं। ऐसे में शरद पवार की गैरमौजूदगी को महज संयोग नहीं माना जा रहा। संजय राउत ने कहा कि अजित पवार और शरद पवार के बीच क्या ‘खिचड़ी’ पक रही है, यह साफ होना चाहिए।
महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर भी तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं है, जिससे राजनीतिक माहौल और अधिक पेचीदा बन गया है।
सुप्रिया सुले का रुख और अमित शाह से मुलाकात
शरद पवार की सियासी उत्तराधिकारी मानी जाने वाली सुप्रिया सुले ने भी हाल ही में राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस के दौरान उन्होंने ईवीएम और वीवीपैट को लेकर कांग्रेस के आरोपों से खुद को अलग कर लिया।
सुप्रिया सुले ने साफ कहा कि “मैं चार बार ईवीएम से चुनकर आई हूँ, इसलिए मशीन पर सवाल नहीं उठाऊंगी।” यह बयान कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं था।
इसके ठीक अगले दिन, सुप्रिया सुले ने अपनी पार्टी के सांसदों के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। हालांकि उन्होंने इसे महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दों, खासकर बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या से जोड़कर बताया, लेकिन मुलाकात की टाइमिंग ने राजनीतिक अटकलों को हवा दे दी। अमित शाह से मुलाकात के बाद सार्वजनिक रूप से आभार जताना भी चर्चा का विषय बना।
पवार परिवार में बढ़ती नजदीकियां
इन घटनाओं के बीच पवार परिवार में बढ़ती नजदीकियां भी सुर्खियों में हैं। शरद पवार और अजित पवार के बीच मुलाकातें हो रही हैं। वहीं, सुप्रिया सुले और रोहित पवार का रुख पहले से नरम दिख रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि परिवार की खटास कम होना और दिल्ली से बढ़ती नजदीकियां किसी बड़े राजनीतिक संकेत की ओर इशारा कर सकती हैं।
सवाल वही: शरद पवार का अगला कदम क्या होगा?
बीएमसी चुनाव से पहले सबसे बड़ा सवाल यह है—शरद पवार के मन में आखिर चल क्या रहा है? क्या महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर बड़ा मोड़ लेने वाली है?
इस चुनावी समीकरण और पवार परिवार की रणनीति पर नज़र बनाए रखना अब सबके लिए जरूरी हो गया है।
