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कर्नाटक की राजनीति में एक और विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके परिवार को बीजेपी ने निशाने पर लिया है। यह विवाद बेंगलुरु के एयरोस्पेस पार्क में खड़गे परिवार के ट्रस्ट को प्लॉट आवंटित किए जाने से जुड़ा है, जिसे लेकर बीजेपी ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
बीजेपी का आरोप है कि खड़गे परिवार के ट्रस्ट को एयरोस्पेस पार्क में प्लॉट आवंटित करने में अनियमितताएं हुई हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस ट्रस्ट को नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए प्लॉट आवंटित किया गया है, जो कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने का एक और उदाहरण है।
बीजेपी नेताओं ने यह सवाल उठाया है कि एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र में एक परिवार के ट्रस्ट को इतनी आसानी से प्लॉट कैसे मिल सकता है, जबकि आम जनता और अन्य संस्थाओं के लिए ऐसी सुविधाओं तक पहुंच कठिन है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी रही है, और इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि प्लॉट आवंटन में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और इसमें किसी भी तरह की अनियमितता नहीं हुई है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मामला केवल राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है और बीजेपी जानबूझकर कांग्रेस नेताओं और उनके परिवारों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस ने यह भी कहा है कि बीजेपी राज्य में विपक्षी दल की भूमिका निभाने के बजाय, झूठे आरोप लगाकर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने इस मामले को साजिश करार देते हुए कहा कि सरकार किसी भी जांच के लिए तैयार है और सच सामने आने पर बीजेपी को मुंह की खानी पड़ेगी।
यह मामला सिद्धारमैया सरकार पर लगे अन्य आरोपों के बाद उभरा है, जिससे कांग्रेस के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। कर्नाटक की राजनीति में इस विवाद ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच टकराव को और बढ़ा दिया है, और यह देखना होगा कि यह मामला आगामी चुनावों में क्या भूमिका निभाएगा।
सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ पहले से ही कई आरोप हैं, और अब खड़गे परिवार पर सवाल उठने से कांग्रेस को जनता के बीच अपनी छवि साफ रखने में मुश्किलें हो सकती हैं। बीजेपी इस मुद्दे को आगामी चुनावों में भुनाने की कोशिश कर सकती है, जबकि कांग्रेस को अपनी स्थिति स्पष्ट करने और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
कर्नाटक की राजनीति में यह मामला कितना गंभीर रूप लेगा और इसका आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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