
गुरुग्राम डूबने के बाद भी जीएमडीए की जरूरत है गुरुग्राम में। एक जिले में दो नगर निगम इसके बाद भी गुरुग्राम डूबा। गुरुग्राम 1 सितंबर। हरियाणा के गुरुग्राम में एक जिले में दो नगर निगम और एक जीएमडीए इसके बावजूद भी गुरुग्राम के कई हिस्से पानी में डूब गए वही औद्योगिक क्षेत्र भी पानी में डूबा हुआ नजर आया जिसको लेकर अब गुरुग्राम की जनता जीएमडीए पर सवाल उठा रही है क्या इसके बावजूद भी सरकार को लगता है कि जीएमडीए को रखना जरूरी है
गुरुग्राम डूबने के बाद भी जीएमडीए की जरूरत है गुरुग्राम में।
एक जिले में दो नगर निगम इसके बाद भी गुरुग्राम डूबा।
गुरुग्राम 1 सितंबर।
हरियाणा के गुरुग्राम में एक जिले में दो नगर निगम और एक जीएमडीए इसके बावजूद भी गुरुग्राम के कई हिस्से पानी में डूब गए वही औद्योगिक क्षेत्र भी पानी में डूबा हुआ नजर आया जिसको लेकर अब गुरुग्राम की जनता जीएमडीए पर सवाल उठा रही है क्या इसके बावजूद भी सरकार को लगता है कि जीएमडीए को रखना जरूरी है क्योंकि दो नगर निगम जीएमडीए हुडा विभाग के अलावा अन्य सरकारी एजेंसियां जिन पर राज्य सरकार द्वारा हर वर्ष के ई सौ करोड रुपए खर्च किए जाते हैं लेकिन गुरुग्राम में इसके बावजूद ने तो सफाई व्यवस्था है और ना ही पानी निकासी की कोई व्यवस्था है और हर बारिश में गुरुग्राम के कई हिस्से पानी में डूब जाते हैं और द्वारा करने के बावजूद भी गुरुग्राम की हालत ठीक नहीं हो रही।
गुरुग्राम मानेसर नगर निगम की बात की जाए तो मानेसर नगर निगम इस समय बरसाती पानी में डूबा हुआ है मानेसर औद्योगिक क्षेत्र की हर सड़क तालाब में तब्दील होती नजर आ रही है इतना ही नहीं दिल्ली जयपुर हाईवे की हालत भी बरसात में खराब कर दिया जिससे मानेसर नगर निगम क्षेत्र का हालात और भी खराब होती जा रही है मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में बरसात का पानी भरा हुआ है दिल्ली जयपुर हाईवे की बात की जाए इस नेशनल हाईवे की हालत भी ठीक नहीं है और बरसात के समय में 3 से 5 घंटे तक यह हाईवे जाम रहता है।
वैसे तो गुरुग्राम की पहचान जाम सिटी के नाम से होती है लेकिन इसके बावजूद भी इस शहर की यातायात व्यवस्था पानी निकासी शहर के निवासियों को परेशानी में डाल रही है मानेसर निवासी रमेश यादव का कहना है कि आप गुरुग्राम शहर रहने लायक नहीं है उन्होंने यह भी कहा की जीएमडीए एक अथॉरिटी है और इस विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेवारी सही से नहीं निभा रहे इसलिए भी गुरुग्राम की हालत बहुत खस्ता है।
पहली बार हरियाणा में ऐसा देखा जा रहा है की एक शहर में दो नगर निगम उसके बावजूद भी उसे क्षेत्र की हालत नहीं देखी जा सकती जिस पर राज्य सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है लेकिन वह विकास के करोड रुपए बरसात के पानी में बह जाते हैं।