- -बकाया जुर्माना राशि जमा कराए बगैर नो ड्यूज सर्टिफ़िकेट या अंतिम वेतन प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा
- डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों की ओर 2,65,87,290 रुपये बकाया
चंडीगढ़ 18 अगस्त
लोकायुक्त कोर्ट में मामला पहुंचा तो अब हरियाणा सरकार आरटीआई एक्ट के अंतर्गत जुर्माना राशि जमा न कराने वाले डिफॉल्टर राज्य जन सूचना अधिकारियों का पुख्ता इलाज करने जा रही है । लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा को केस की सुनवाई के दौरान सरकार ने अवगत कराया है कि अब इन डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों के वेतन से ऑटोमैटिक सिस्टम के तहत जुर्माना राशि कटेगी । इसके लिए राज्य सूचना आयोग ने राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र (एन आई सी)को ऐसा मॉड्यूल विकसित करने का आग्रह किया है,जिसके अंतर्गत जुर्माना राशि को मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एचआरएमएस ) से लिंक किया जाएगा और फिर आगे इसे कर्मचारियों की ई- सेलरी से लिंक किया जाएगा। इसके इलावा सरकार ने सभी कंट्रोलिंग अथॉरिटी को ये भी आदेश दिए हैं कि किसी भी डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारी को तब तक अनापत्ति प्रमाणपत्र अथवा अंतिम वेतन प्रमाणपत्र जारी न करें, जब तक वह बकाया जुर्माना राशि जमा नहीं करवाता । डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों वर्षों से 2,65,87,290 रुपये की जुर्माना राशि बकाया है। लोकायुक्त इस केस की आगामी सुनवाई 5 अक्टूबर को करेंगे।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने 21 जुलाई 2020 को लोकायुक्त कोर्ट में केस दायर करके प्रदेश के कुल 1760 डिफॉल्टर जन सूचना अधिकारियों से करोड़ों रुपये की बकाया जुर्माना राशि वसूली कराने की मांग की थी ।शिकायत में आरोप लगाया कि जन सूचना अधिकारियों ने आरटीआई एक्ट का मजाक बना दिया है,न तो निर्धारित 30 दिन में सूचना देते हैं और न ही सूचना आयोग द्वारा लगाई जुर्माना राशि को सरकारी खजाने में जमा करवाते हैं। इन डिफाल्टरों में कई एचसीएस व गजेटिड ऑफिसर्स भी शामिल हैं, जो वर्षों से जुर्माना राशि दबा कर बैठे हैं । लोकायुक्त के नोटिस के पश्चात मार्च 2021 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जुर्माना राशि वसूली के लिए उच्च स्तरीय मॉनीटरिंग भी कमेटी गठित हुई