सिरसा,23 सितंबर। हरियाणा में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां के 33वें गुरुगद्दीनशीनी दिवस के पावन महापरोपकार दिवस का पावन भंडारा शनिवार को एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केन्द्र शाह मस्तान-शाह सतनाम जी धाम, सिरसा में भारी तादाद साध-संगत ने हषोज़्ल्लास और धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर डेरा प्रमुख द्वारा भेजी गई चिी भेजी साध-संगत को पढ़कर सुनाई गई। चिी में महापरोपकार का वर्णन करते हुए साध-संगत को एकता में रहने के वचन किए गए। इस अवसर पर आत्म सम्मान मुहिम के तहत 23 अति जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीनें और सेफ मुहिम के तहत नशे छोडऩे वाले 23 युवाओं को पौष्टिक आहार की किट दी गई। गौरतलब है कि 23 सितंबर 1990 को परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने संत गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां को पावन गुरुगद्दी की बख्शिश दी थी।
महापरोपकार दिवस का आगाज कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान कर किया। पावन भंडारे की शुरूआत से पहले ही सभी पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गए। भारी जनसमूह उमडऩे से शाह सतनाम जी मार्ग, रानियां रोड़, डबवाली रोड़, बरनाला रोड़, हिसार रोड़, बाजेकां रोड, रंगडी रोड सहित अन्य रास्तों पर कई-कई किलोमीटर दूर-दूर तक जाम लगा रहा। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से उपस्थित साध-संगत ने अपने गुरू के अनमोल वचनों को श्रद्धापूर्वक सुना। वचनों में उन्होंने फरमाया कि आज का वो दिन जब हमारा अपने मुशिज़्द-ए-कामिल से मिलाप हुआ, अपने उस दाता रहबर से मिलाप हुआ जो वर्णन से परे है। उस मुशिज़्द-ए-कामिल के महान परोपकारों का वर्णन करना असंभव है, मुश्किल है। जन्म से ही उनका रहमोकरम रहा। जब हम चार-पांच साल के थे 1972 में उन्होंने अपने नाम-शब्द से नवाजा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मुरीद अपने मुशिज़्द-ए-कामिल को कभी नहीं भूलता, मक्खियां-मच्छर तो उड़ जाया करते हैं। इस अवसर पर एक मनमोहक डॉक्यूमेंट्री भी साध-संगत को दिखाई गई।