
18 September 2025 दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि नगर निगम (MCD) द्वारा लग्जरी और फाइव-स्टार होटलों पर बढ़ाई गई प्रॉपर्टी टैक्स दर पूरी तरह कानूनी और न्यायसंगत है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जब होटल खुद को स्टार कैटेगरी में रखते हैं और समृद्ध ग्राहकों को टारगेट करते हैं, तो उन पर अतिरिक्त टैक्स लगना गलत नहीं है।कोर्ट ने माना कि जिन लोगों या संस्थानों के पास बड़ी संपत्ति और ज्यादा आमदनी होती है, उन्हें सार्वजनिक खजाने में अधिक योगदान देना चाहिए। इस आधार पर लग्जरी होटलों पर अतिरिक्त टैक्स को उचित ठहराया गया।कुछ फाइव-स्टार होटलों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर MCD के फैसले को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि उनकी स्टार रेटिंग को घटाकर चार स्टार कर दिया गया और यूज़र फैक्टर 8 से बढ़ाकर 10 कर दिया गया। साथ ही प्रॉपर्टी टैक्स 10% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया। होटल मालिकों ने इसे मनमाना बताते हुए रद्द करने की मांग की थी।
हाई कोर्ट ने साफ किया कि होटलों को स्टार रेटिंग के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में रखना तर्कसंगत है। फाइव-स्टार और लग्जरी होटल सामान्य होटलों की तुलना में प्रीमियम सेवाएं उपलब्ध कराते हैं—जैसे भव्य बैंक्वेट हॉल, स्पा, फाइन डाइनिंग और कंसीयर्ज सुविधाएं। इन्हीं सुविधाओं के आधार पर उन्हें खास सेगमेंट में रखा जाता है।न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने सुनवाई के दौरान कहा कि टैक्स वर्गीकरण को बदलना प्रशासनिक जटिलता बढ़ाएगा। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे मेकमायट्रिप और गोइबिबो भी होटलों को स्टार रेटिंग के आधार पर ही दिखाते हैं। ऐसे में होटल मालिकों को इस टैक्स प्रणाली का पालन करना ही होगा।