आदेश का अनुपालन स्वैच्छिक है, लेकिन इसे बलपूर्वक लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह आदेश का कोई वैधानिक आधार नहीं है. कोई भी कानून पुलिस आयुक्त को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता.
अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा दशकों से जारी है और विभिन्न धार्मिक आस्थाओं- इस्लाम, ईसाई और बौद्ध धर्म के लोग कांवड़ियों की मदद करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंदुओं की ओर से संचालित कई शाकाहारी होटल और रेस्तरां में मुस्लिम और दलित कर्मचारी हैं.
उन्होंने कहा कि मैं कई बार हरिद्वार मार्ग पर गया हूं. वहां हिंदुओं की ओर से संचालित कई शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां हैं. लेकिन अगर उनमें मुस्लिम या दलित कर्मचारी हैं, तो क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां खाना नहीं खाऊंगा? क्योंकि भोजन किसी न किसी तरह से उनके द्वारा छुआ जाता है.
पीठ ने पूछा क्या कांवड़िए शिव की पूजा करते हैं, हां? क्या वे उम्मीद करते हैं कि भोजन निश्चित समुदाय द्वारा पकाया, परोसा और पैदा किया जाएगा?
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अधिकारियों ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है.
बता दें, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार ने आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी शासित उज्जैन नगर निगम ने दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का शनिवार को निर्देश दिया था. उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि उल्लंघन करने वालों को पहली बार अपराध करने पर 2,000 रुपये का जुर्माना और दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.
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