
आज का नक्षत्र -: उत्तराषाढ़ा रात्रि 11/44 तक उसके बाद श्रवण
आज का पंचांग एवं ग्रहों की स्थिति
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि
गुरुग्राम, 4 सितंबर। ध्यायेदाजानुबाहुं घृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थम, पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्ननम, ।
वामांकारुढ़ सीतामुखकमलमिल्ललोचनं नीरदाभम, नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामंडनं रामचंद्रम ।।
अर्थात-: जो पीतांबर धारण किए हुए हैं, उनके हाथो में धनुष-बाण हैं, वह बद्ध पद्मासन की मुद्रा में विराजित हैं। जिनके प्रसन्नचित नेत्र नए-नए खिले हुए कमल पुष्प के समान आपस में स्पर्धा कर रहे हैं, जिनके बायीं ओर सीताजी विराजमान है और उनके मुख कमल मिले हुए हैं। हम उन नाना अलंकारों से विभूषित जटाधारी श्रीरामचंद्र का ध्यान करते है।
जय जय श्री राधे
IIआज का पंचांग एवं ग्रहों की स्थिति II
श्री गणेशाय नमः, जय श्री कृष्ण
सब सुखी व स्वस्थ रहें
विक्रम संवत 2082
संवत्सर नाम -: सिद्धार्थी
संवत्सर राजा-: सूर्य
संवत्सर मंत्री-: सूर्य
सूर्य दक्षिणायण, ऋतु-: शरद
सूर्य उदय : प्रातः 6/05
सूर्य अस्त : सायं 6/35
भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि
अंग्रेजी दिनांक-: 4/9/2025
दिन-: गुरुवार
चंद्रमा-: मकर राशि में
राशि स्वामी-: शनि
आज का नक्षत्र -: उत्तराषाढ़ा रात्रि 11/44 तक उसके बाद श्रवण
नक्षत्र स्वामी – : सूर्य/चंद्र
✨️ चंद्रमा का नक्षत्र प्रवेश-:
प्रात: 5/21 से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र चरण 2 में
11/28 से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र चरण 3 में
सायं 5/36 से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र चरण 4 में
रात्रि 11/44 से श्रवण नक्षत्र चरण 1 में
योग-: दोपहर 3/22 तक सौभाग्य -: यह मंगल कार्यों के लिये एक बहुत शुभ योग है
दोपहर 3/23 से शोभन-: यात्रा एवं शुभ कार्यों के लिये शुभ
आज के मुख्य पर्व/भद्रा/पंचक/गन्डमूल आदि
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– : श्री वामन जयंती,
अगस्त्य उदय – : यह एक खगोलीय घटना है जिसमें अगस्त्य तारा आकाश में दिखाई देता है
पुराणों के अनुसार आज अगस्त्य ऋषि ने समुद्र सोख लिया था
♻️आज की शुभ दिशा -: पूर्व,उत्तर, उत्तर-पूर्व
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♻️ दिशा शूल -: दक्षिणी दिशा की ओर यात्रा करने से बचें, अति आवश्यक होने पर दही खाकर प्रस्थान करें
आज की ग्रह स्थिति -:
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सूर्य -: सिंह राशि (राशि स्वामी सूर्य) पूर्वा फाल्गुनी चरण 1 में नक्षत्र चरण 2 में ( नक्षत्र स्वामी शुक्र)
मंगल -: कन्या राशि (राशि स्वामी बुद्ध) चित्रा नक्षत्र चरण 1 में
बुद्ध -: सिंह राशि (राशि स्वामी सूर्य)मघा नक्षत्र चरण 3 में ( नक्षत्र स्वामी केतु) रात्रि 11/26 से चरण 4 में
गुरु -: मिथुन राशि (राशि स्वामी बुद्ध) पुनर्वसु नक्षत्र चरण 2 में ( नक्षत्र स्वामी गुरु)
शुक्र -: कर्क राशि (राशि स्वामी चंद्र) आश्लेषा नक्षत्र चरण 1 में
शनि(वक्री) -: मीन राशि (राशि स्वामी गुरु)उत्तर भाद्रपद नक्षत्र चरण 1 में(नक्षत्र स्वामी शनि)
राहु-: कुंभ (राशि राशि स्वामी शनि)पूर्व भाद्रपद नक्षत्र चरण 2 में (नक्षत्र स्वामी गुरु)
केतु-: सिंह राशि( राशि स्वामी सूर्य) पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र चरण 4 में (नक्षत्र स्वामी शुक्र)
राहु काल -: दोपहर 1/30 से 3/00 बजे तक कोई शुभ या नया कार्य न करें
दैनिक लग्न सारणी -:
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प्रात-: 7/02 तक सिंह
9/18 तक कन्या
दोपहर 11/36 तक तुला
1/55 तक वृश्चिक
3/59 तक धनु
5/42 तक मकर
सायं 7/10 तक कुम्भ
रात्रि 8/34 तक मीन
10/10 तक मेष
12/05 तक वृष