- जीआरएपी नियमों की पालना सुनिश्चित करवाने के लिए अलग-अलग अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारियां
ग्रेडिड रैस्पांस एक्शन प्लान पहली अक्तुबर से होगा लागू
- गुरूग्राम, 25 सितंबर। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए पहली अक्तुबर से ग्रेडिड रैस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर रोक रहेगी तथा इस प्रकार की गतिविधियां करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम गुरूग्राम क्षेत्र में जीआरएपी नियमों की पालना सुनिश्चित करने केलिए अलग-अलग अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। इसके लिए नगर निगम गुरूग्राम की पर्यावरण एवं स्थिरता शाखा द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। जारी आदेशों में कहा गया है कि क्षेत्र में जीआरएपी चार चरण में लागू किया जाएगा तथा इनमें अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लागू रहेंगे।
पहला चरण (वायु गुणवत्ता सूचकांक 201-300) : जारी आदेशों के अनुसार जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 201 से 300 के बीच होगा तो जीआरएपी का पहला चरण लागू हो जाएगा। इस चरण में निर्माण एवं तोडफ़ोड़ गतिविधियों के लिए जारी निर्देशों की पालना सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी कार्यकारी अभियंता(सीएंडडी वेस्ट) तथा सहायक अभियंता (अतिक्रमण) की होगी। प्रथम चरण में निर्माण एवं तोडफ़ोड़ गतिविधियों के लिए जारी दिशा-निर्देशों जैसे 500 वर्ग मीटर प्लॉट एरिया से अधिक वाली साईटों को वैब पोर्टल पर पंजीकृत करवाना होगा तथा नियमों के तहत धूल को उडऩे से रोकने के प्रबंध सुनिश्चित किए जाने आवश्यक होंगे। निगम क्षेत्र में सीएंडडी वेस्ट तथा सॉलिड वेस्ट का उठान सुनिश्चित करने के लिए कार्यकारी अभियंता (सीएंडडी वेस्ट) तथा वरिष्ठ सफाई निरीक्षक(मुख्यालय) की जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा, मैकेनाईज्ड स्वीपिंग तथा पानी का छिडक़ाव सुनिश्चित करने के लिए कार्यकारी अभियंता(बागवानी) तथा एसएसआई(मुख्यालय) कार्य करेंगे। जीआरएपी नियमों के तहत सीएंडडी मैटेरियल तथा कूड़े को ले जाने वाले वाहनों का कवर होना आवश्यक रहेगा। इसकी अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए कार्यकारी अभियंता (सीएंडडी वेस्ट), कार्यकारी अभियंता(मुख्यालय) तथा सहायक अभियंता (इनफोर्समैंट) को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा, सीएंडडी साईटों पर एंटी स्मॉग गन तथा अन्य नियमों की पालना सुनिश्चित की जाएगी। निगम क्षेत्र में किसी भी प्रकार के कचरे में आग लगाने पर प्रतिबंध है तथा ऐसा करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। साथ ही तंदूर में कोयला व लकड़ी के उपयोग पर भी प्रतिबंध होगा।
दूसरा चरण (वायु गुणवत्ता सूचकांक 301-400) : इस चरण में उपरोक्त सभी गतिविधियों के अतिरिक्त जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा। केवल एलपीजी, नेचुरल गैस, बायो गैस, प्रोपेन व बूटेन से संचालित होने वाले जनरेटर उपयोग किए जा सकेंगे। इसके अलावा, एमओएफसीसी के 3.11.2022 की अधिसूचना में दिए गए मानकों को पूरा करने वाले 800 किलोवाट क्षमता के न्यू पावर जनरेटर सैट तथा ड्यूल फ्यूल मॉड वाले ईसीडी रेट्रो फिटिड 125 किलोवाट से 800 किलोवाट की क्षमता के जनरेटर सैट का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही 19 किलोवाट से 125 किलोवाट तक के डयूल फ्यूल मॉड वाले जनरेटर तथा पॉल्यूशन कंट्रोल डिवाईस लगे हुए 800 किलोवाट व इससे अधिक क्षमता के जनरेटर प्रतिदिन केवल 2 घंटे चलाने की अनुमति होगी।