सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार और नागरिकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में नागरिकता कानून की एक महत्वपूर्ण धारा पर अपना निर्णय सुनाया। इस फैसले का व्यापक प्रभाव देशभर में महसूस किया जाएगा, क्योंकि इससे नागरिकता कानून के तहत नागरिकता प्राप्ति और उससे जुड़े विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार और नागरिकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इस मामले में नागरिकता कानून की जिस धारा पर विवाद था, वह धारा नागरिकता प्राप्ति के लिए जरूरी शर्तों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट करती है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि यह धारा कुछ विशेष समुदायों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस धारा पर विचार करते हुए कहा कि नागरिकता कानून के अंतर्गत नागरिकता प्राप्ति की प्रक्रिया का पालन करते हुए सरकार का कर्तव्य है कि वह संवैधानिक अधिकारों का पालन करे। कोर्ट ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि नागरिकता प्राप्ति की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जा सके। साथ ही, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि किसी भी नागरिकता आवेदन के निपटारे के दौरान भेदभाव नहीं होना चाहिए।
इस फैसले के बाद सरकार को अब नागरिकता कानून में सुधार करने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ सकते हैं, ताकि यह सभी समुदायों के लिए समान और निष्पक्ष हो। साथ ही, इससे उन लाखों लोगों को राहत मिलेगी जो नागरिकता प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर देश के विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। सत्ताधारी दल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे नागरिकता प्रक्रिया में और पारदर्शिता आएगी। वहीं, विपक्षी दलों ने इस फैसले को एक बड़ी जीत के रूप में देखा है और उम्मीद जताई है कि इससे सरकार नागरिकता कानूनों में सुधार करेगी।
अब सभी की नजर इस बात पर है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को किस तरह लागू करती है और नागरिकता कानून में किस तरह के सुधार लाए जाते हैं। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस फैसले का पालन तेजी से किया जाए, ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
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