नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की 9वीं बैठक में शामिल नहीं हुए। अधिकारियों ने बताया कि इस बैठक में बिहार का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने किया। नीतीश कुमार की अनुपस्थिति का कारण तुरंत पता नहीं चल सका है, लेकिन जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने इसे व्यक्तिगत कारणों से जोड़ा है। त्यागी ने स्पष्ट किया, “मुख्यमंत्री व्यक्तिगत कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके। इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। हम तो बजट और नीति आयोग की बैठक से उत्साहित हैं।”
भाजपा का प्रतिक्रिया
भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने कहा, “हमें जानकारी नहीं है कि नीतीश कुमार क्यों नहीं आए। एनडीए की मुठ्ठी बंद है। एनडीए मजबूत है।”
बैठक का मुख्य उद्देश्य
नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में ‘विकसित भारत @2047’ दस्तावेज पर चर्चा की गई। बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य पर विचार-विमर्श किया गया। नीति आयोग की सर्वोच्च संस्था गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल थे।
ममता बनर्जी का आरोप और केंद्र की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों में से केवल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही बैठक में शामिल हुईं। उन्होंने बीच में ही मीटिंग छोड़कर केंद्र पर अपने राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। बनर्जी ने कहा, “मैंने बैठक का बहिष्कार किया है। मुझे सिर्फ पांच मिनट के बाद ही रोक दिया गया। यह गलत है।”
केंद्र सरकार के सूत्रों ने ममता बनर्जी के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा, “यह दावा कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था, सही नहीं है। क्लॉक ने केवल यह दिखाया कि उनके बोलने का समय समाप्त हो गया है।”
इस महत्वपूर्ण बैठक में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति और ममता बनर्जी के आरोपों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है और इन मुद्दों का समाधान कैसे निकाला जाता है।