न्याय आपके द्वार अभियान ने मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की मध्यस्थता पहल का किया स्वागत
रेवाड़ी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय मध्यस्थता अभियान का न्याय आपके द्वार अभियान ने स्वागत किया है। अभियान के संयोजक और वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चौहान ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कई महत्वपूर्ण लंबित मुद्दों को इस मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल करने की मांग की है।
चौहान ने पत्र में विशेष रूप से 1986 से लंबित राजीव-लोंगवाल समझौते के विवाद को प्राथमिकता देने की अपील की है। यह मामला पिछले 39 वर्षों से अटका हुआ है, जिसके कारण पंजाब और हरियाणा के बीच कई प्रमुख मुद्दों पर समाधान नहीं हो पाया है।
कौन-कौन से मुद्दे अभी भी लंबित हैं?
इस समझौते के अंतर्गत कई प्रमुख विषय आते हैं, जिनमें शामिल हैं—
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SYL नहर विवाद
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चंडीगढ़ का स्टेटस
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हिंदी भाषाई क्षेत्रों का हस्तांतरण
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दोनों राज्यों की अलग राजधानी
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अलग उच्च न्यायालय की स्थापना
इन विवादों के चलते दोनों राज्य न तो अपने प्रशासनिक ढांचे को पूरी तरह विकसित कर पाए हैं और न ही न्याय व्यवस्था को सरल बना पाए हैं। इसका सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है।
न्याय में देरी से आम जनता परेशान
अभियान का कहना है कि इन विवादों की वजह से नागरिकों को पीने के पानी, कृषि सिंचाई, क्षेत्रीय विकास और न्याय तक पहुंच जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
मध्यस्थता में भागीदारी की पेशकश
नरेश चौहान ने मांग की है कि:
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पंजाब और हरियाणा सरकारें
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
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और चंडीगढ़ के प्रशासक
इन सभी को मध्यस्थता की मेज पर बैठाकर समाधान निकाला जाए।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि हाई कोर्ट के लंबित मामलों को निपटाने के लिए चंडीगढ़ से दूर क्षेत्रों में हाई कोर्ट की खंडपीठ स्थापित की जाए, ताकि लोगों को न्याय आसानी से मिल सके।
अंत में, न्याय आपके द्वार अभियान ने कहा है कि वह इस ऐतिहासिक मध्यस्थता प्रक्रिया में जमीनी स्तर पर पूर्ण सहयोग देने के लिए तैयार है।
प्रतिनिधि मंडल जल्द ही मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात की मांग करेगा।
इस मुद्दे पर आगे की अपडेट के लिए वेबसाइट से जुड़े रहें।
