
गुरुग्राम / पटौदी, 22 सितम्बर 2025 — कांग्रेस ने गुरुग्राम जिले के पटौदी में बड़ा प्रदर्शन किया, जहाँ पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने “वोट चोर, गद्दी छोड़” का नारा लगाते हुए एक मार्च निकाला। इस मार्च का उद्देश्य वर्तमान सरकार पर वोटों की चोरबाजी और चुनावी जनादेश की अवहेलना का आरोप लगाना था। नीचे इस घटना का विस्तृत विवरण प्रस्तुत है:
पृष्ठभूमि
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यह मार्च कांग्रेस की उस मुहिम का हिस्सा है जो “‘Vote Chor, Gaddi Chhod’” नाम से जानी जा रही है — यानी “वोट चोर, सत्ता छोड़ो” — जिसमें कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि चुनावी वोटिंग सूची में गड़बड़ी की गई है और जनता की मंशा को गलत तरीके से प्रभावित किया गया है।
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यह मुहिम अक्सर पेटीशन्स, हस्ताक्षर अभियानों (signature campaigns), पदयात्राओं (padyatras) और सार्वजनिक रैलियों के माध्यम से जनसमर्थन जुटाने की कोशिश है।
मार्च का आयोजन
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कांग्रेस ने मार्च की शुरुआत पटौदी से की, जिसमें पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया।
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समर्थकों ने हाथों में झंडे और पोस्टर लिए हुए थे, जिन पर मैसेज लिखा था: “वोट चोर, गद्दी छोड़”।
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मार्च का मार्ग कॉम्युनिटी सेंटर से लेकर पैटौदी बाजार और प्रमुख स्थानों से गुज़रते हुए निकाला गया।इस मार्च के दौरान बैठकें हुईं, लोगों से पूछा गया कि उन्होंने किन-किन स्थानों पर वोटर रोल में गड़बड़ी देखी, फर्जी वोटों की चर्चा हुई और निर्वाचन आयोग से पारदर्शिता की मांग की गई।
नेताओं की बातें
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जिला अध्यक्ष (ग्रामीण), वर्धन यादव, ने कहा कि पटौदी, सोहना-तौड़ू, बड़शाहपुर सहित कई विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट में समस्या है और चुनावों में लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिश हो रही है।
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अन्य कांग्रेस नेता जैसे कि राष्ट्रीय सचिव हरियाणा प्रभारी जीतेन्द्र भगेल, राज्य कार्यकारी अध्यक्ष जीतेन्द्र भारद्वाज और अस्थानी जिला अध्यक्ष पंकज डावर ने भी मार्च में हिस्सा लिया और जनता से अपील की कि चुनावों में न्याय सुनिश्चित हो।
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वर्धन यादव ने आरोप लगाया कि “बड़शाहपुर में अकेले 74,000 वोट फर्जी तरीके से जोड़े गए हैं।”
जनता की भागीदारी और समर्थन
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इस मार्च में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया — कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय निवासियों के साथ-साथ कुछ तमाम उस क्षेत्र की चुनिंदा यूनियनों और सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन किया।मार्च के दौरान मौजूद लोगों ने कहा कि वे इस तरह की मुहिमों में शामिल इसलिए हैं क्योंकि अक्सर उनकी शिकायतों को कानूनी या प्रशासनिक प्रणाली द्वारा अनसुना किया जाता है। उनका मानना है कि लोकतंत्र सिर्फ वोट देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वोटों की रक्षा और उनके सही इस्तेमाल तक का मामला है।
मांगें
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कांग्रेस की मांग है कि निर्वाचन आयोग और दूसरी संबंधित एजेंसियाँ वोटर सूची (electoral roll) में पारदर्शिता लाएँ — किसने नाम जोड़ा, किसे हटाया गया, फर्जी नामों की जांच हो।
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साथ ही, लोगों ने मांग की कि “वोट चोरी” के आरोपों की स्वतंत्र जांच हो और दोषियों को सजा मिले।
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यह भी कहा गया कि अगर सरकार जनता की आवाज़ नहीं सुनेगी, तो और भी बड़े आंदोलन होंगे।
भाजपा की प्रतिक्रिया
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भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के आरोपों को झूठा और राजनीतिक प्रेरित बताया है। उनकी दलील है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष है और निर्वाचन आयोग कड़े नियमों के तहत काम करता है।
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भाजपा ने कहा कि कांग्रेस इस तरह के अभियानों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसकी लोकप्रियता और जनसमर्थन घट रहा है।
महत्व और राजनीतिक असर
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यह मार्च और “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसा नारा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गरमाने की संकेत है। लोगों की असंतुष्टि राजनीतिक दलों के लिए एक चेतावनी है कि सार्वजनिक विश्वास और लोकतांत्रिक संस्थाएँ कितनी ज़रूरी हैं।
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पटौदी जैसे विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे आंदोलन राजनीतिक दाव-पेंचों को प्रभावित कर सकते हैं — राजनीति में संतुलन और चुनावी रणनीतियों को जनता की भावना को ध्यान में रखकर आकार देना पड़ सकता है।
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इस तरह की मुहिमें सिर्फ प्रदर्शनों तक सीमित नहीं होंगी; ये कानूनी और संस्थागत बदलाव की मांग बन सकती हैं — जैसे कि मतदाता सूची सुधार, मतदाता पहचान, निर्वाचन आयोग की जवाबदेही आदि।
चुनौतियाँ
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कांग्रेस को यह साबित करने के लिए साक्ष्य चाहिए कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हुई है — नाम हटाए गए हैं, फर्जी वोट जुड़े हैं आदि। सिर्फ आरोपों से काम नहीं चलेगा; जमीनी स्तर की रिपोर्टिंग, दस्तावेज़ों की जांच, न्यायाधीशों या चुनाव न्यायालयों में वह सब प्रस्तुत करना होगा।
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प्रशासन या निर्वाचन आयोग की ओर से इस तरह की कार्रवाई से विवाद, मुकदमेबाज़ी या राजनीतिक तनाव हो सकता है।
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भाजपा की ओर से सफाई देने, दावा पत्र प्रस्तुत करने और जांच दलों के कामों की समीक्षा कराने जैसी चुनौतियाँ भी होंगी।
निष्कर्ष
गुरुग्राम के पटौदी में कांग्रेस द्वारा निकाली गई यह “वोट चोर, गद्दी छोड़” मार्च सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की उस मजबूत मांग का प्रतीक है जिसमें जनता चाहती है कि चुनाव निष्पक्ष हों, वोटर सूची पारदर्शी हो, और जनता की मंशा को आपराधिक तौर-पर हाथ न लगाया जाए। अगर यह मुहिम सफल होती है, तो यह न केवल पटौदी बल्कि पूरे हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।