
अमेरिकी संसद में एक अहम द्विदलीय विधेयक पेश किया गया है, जिसका नाम है पाकिस्तान स्वतंत्रता और जवाबदेही अधिनियम (H.R. 5271) इस प्रस्ताव का मकसद पाकिस्तान में लोकतंत्र को कमजोर करने और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले सरकारी और सैन्य अधिकारियों पर सीधा निशाना साधना है।यह विधेयक विशेष रूप से पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा तंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों को टारगेट करता है। अगर यह कानून बनता है तो जिन अधिकारियों पर मानवाधिकार हनन, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार या लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखलअंदाजी का आरोप साबित होगा, उन पर वीजा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती और आर्थिक पाबंदियां लगाई जा सकेंगी।यह विधेयक अमेरिका के ग्लोबल मैग्निट्स्की ह्यूमन राइट्स अकाउंटेबिलिटी एक्ट (2016) के ढांचे पर आधारित है। इस कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वे दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन या भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा सकें।
विधेयक को मिशिगन के रिपब्लिकन सांसद बिल ह्यूजेंगा ने पेश किया।इसके सह-प्रायोजकों में डेमोक्रेट सांसद सिडनी कमलागर-डोव, रिपब्लिकन सांसद जॉन मूलेनार, डेमोक्रेट जूली जॉनसन और रिपब्लिकन जेफरसन श्रेव शामिल हैं।इसके अलावा रिच मैककॉर्मिक, जैक बर्गमैन, जोक्विन कास्त्रो और माइक लॉलेर जैसे नेता भी इसका समर्थन कर रहे हैं।विधेयक को हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी और जुडिशियरी कमेटी में आगे की समीक्षा के लिए भेजा गया है।
इस कानून का घोषित लक्ष्य है:पाकिस्तान में मुक्त और निष्पक्ष चुनावों की रक्षा करना।मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना।सेना और सुरक्षा एजेंसियों के उन वर्तमान और पूर्व अधिकारियों पर दबाव डालना, जो राजनीतिक अस्थिरता और उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।हाल ही में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में कुछ सुधार के संकेत मिले थे, लेकिन इस विधेयक ने यह साफ कर दिया है कि वॉशिंगटन पाकिस्तान में बिगड़ते हालात को लेकर गहरी चिंता में है। यह कदम अमेरिकी विदेश नीति में मानवाधिकार और लोकतंत्र की प्राथमिकता को भी उजागर करता है।विश्लेषकों के अनुसार, अगर यह विधेयक कानून का रूप लेता है, तो इसका असर पाकिस्तान की राजनीति और उसकी सेना पर सीधा महसूस किया जाएगा।