गुरुग्राम
जल संगोष्ठी में हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्षा केशनी आनंद अरोड़ा ने मुख्यमंत्री के समक्ष प्राधिकरण द्वारा प्रदेशभर में किए गए भू जल की गहराई का आकलन, पानी की उपलब्धता, उसके उपयोग तथा पानी के गैप को पूरा करने की विधियों सहित विभिन्न बिंदुओं पर प्रस्तुतीकरण दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पानी को बचाने के लिए विभागों द्वारा कार्य योजना तैयार कर ली गई है और इस 2 दिन की जल संगोष्ठी में विभागों द्वारा तैयार कार्य योजना, जल संचयन और पानी के उचित उपयोग सहित विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पानी की आपूर्ति, इसके प्रबंधन तथा पानी की चोरी रोकने के लिए आरटीडास सिस्टम लगाए जा रहे हैं. अब तक 180 आरटीडास लगाए जा चुके हैं, जिससे विभाग द्वारा यह निगरानी रखी जा रही है कि किस स्थान से कितना पानी छोड़ा जा रहा है और अगले स्थान पर उतना पानी पहुंच रहा है या नहीं. उन्होंने कहा कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा भूजल की गहराई का पता लगाने के लिए 1700 पिजोमीटर लगाए जा चुके हैं. लेकिन भूजल दोहन तथा इसके उपयोग की भी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा 6 माह या सालभर में भूजल का आंकलन किया जाना चाहिए.
जल संगोष्ठी में नेशनल वाटर मिशन की मिशन निदेशक अर्चना वर्मा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में जल संरक्षण के लिए प्रयासरत हरियाणा सरकार की सराहना करते हुए कहा कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति किसी विषय को लेकर मजबूती से आगे बढ़ती है तो वह कार्य अवश्य निश्चित तौर पर सफल होता है. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देना समय की जरूरत है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है.
इस अवसर पर सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह, विधायक डॉ अभय सिंह यादव, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह, 10 विभागों के प्रशासनिक सचिव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.