सिरसा,3 अक्तूबर। सिरसा शहर के वार्ड नं. एक स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड धर्मशाला प्रांगण में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ उत्तराखंड सभा, सिरसा के तत्वाधान में किया गया। कथा 7 अक्तूबर तक चलेगी। कथा के प्रथम दिन कथा वाचक आचार्य ओमप्रकाश ध्यानी द्वारा कथावाचन करते हुए भागवत कथा पुराण का महत्व तथा उसके श्रवण के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा जो कोई श्रवण करेगा वह ठाकुरजी को प्राप्त करने में सफल होगा तथा उसके जन्म-जन्मों के मोह-माया के बंधन दूर होंगे। उन्होंने कहा कि माता-पिता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। हर बात से अनजान व्यक्ति अगर माता पिता की सेवा कर ले तो वैसे ही भवसागर पार कर लेता है। ब्यास पीठ पर विराजमान आचायज़् ओमप्रकाश ध्यानी ने कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष में श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का महत्व है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। उन्होंने कहा कि पितृ पक्ष में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण, पठन या पाठन पितृ दोष से मुक्ति पाने का सवोज़्त्तम उपाय माना गया है।
सुन्दर-सुन्दर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
इससे पहले सभा के संरक्षक भजन सिंह रावत, दुगाज़् सिंह रावत, ठाकुर सिंह रावत, हरि सिंह भण्डारी ने दीप प्रज्जवलित कर पूजा-अर्चना की जबकि आज के यजमान चंद्र सिंह गालकोटी, रविंद्र गोयल, यशपाल सिसोदिया थे। कथा के दौरान आचार्य कुलदीप भारद्वाज, आचायज़् कृष्ण उपाधाय, व आचायज़् अशोक अमडोला सहित अन्य संगीतज्ञों ने कृष्ण की लीलाओं से संबंधित सुन्दर-सुन्दर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान कई भजनों पर भक्तजन झूमते नजऱ जाए।
श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है
कथा में सनातन धर्म सभा के कार्यकारी प्रधान एवं कांग्रेस नेता नवीन केडिया भी विशेष मेहमान के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने ब्यास पीठ पर विराजमान आचार्य ओम प्रकाश ध्यानी से आशीर्वाद लिया और उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहा कि सिरसा तपस्वियों भूमि है और यहां बड़े-बड़े संतों एवं महात्माओं ने तपस्या की है। सिरसा में अक्सर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
कथा के दौरान ब्यास पीठ द्वारा उत्तराखंड समाज की बेटी सुमन सावंत व भगवती शर्मा को सम्मानित भी किया गया। सीमित साधन होने के बावजूद भी सुमन सांवत जहां केन्द्र सरकार में अधिकारी