
गुरुग्राम, 23 सितंबर 2025 — दर्शन-पूजन के लिए आए श्रद्धालुओं को गर्मी और सर्दी में जो परेशानियाँ होती थीं, उन्हें कम करने की पहल की गई है। शीतला माता मंदिर परिसर में राह और प्रवेश मार्ग को और अधिक आरामदायक बनाने के उद्देश्य से रबर की सड़क बनाने की योजना पारितार्त हो चुकी है। यह भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) योजना के तहत होगा
प्रस्ताव का
श्री शीतला माता मंदिर गुरुग्राम में एक प्रसिद्ध सिद्धपीठ है, जहाँ आसपास के जिलों और अन्य प्रदेशों से श्रद्धालु वर्षों से आते रहते हैं। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर तक जाने वाला मार्ग पारंपरिक आरसीसी (Reinforced Cement Concrete) सड़क है, जो मौसम के अनुसार अक्सर कठिनाइयाँ पैदा करता है। गर्मी के मौसम में धूप की तीव्रता और सीमेंट की सतह की गर्मी से पैरों को भारी जलन होती है, वहीं सर्दी में ठंड, ओस और कभी-कभी पथरीले, खुरदुरे असमान सतहों पर चलना बुज़ुर्गों और बच्चों के लिए विशेष रूप से कठिन हो जाता है।
इसके अतिरिक्त, जब बारिश होती है या बारिश के बाद पानी रुका नहीं हो पाता है, तो रास्ते पर जलभराव की समस्या होती है। इससे श्रद्धालुओं को कीचड़ में चलना पड़ता है, गिरने का खतरा रहता है और धूल-मिट्टी उलझ जाती है। इन सब कारणों से, श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि लंबे समय से प्रयुक्त आरसीसी सड़क की बजाय, रबर की सड़क तैयार की जाए।
प्रस्तावित योजना
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निर्माता / सहायक संस्था: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) CSR के अंतर्गत यह सड़क बनवाएगा।
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कार्यान्वयन एजेंसी: श्री शीतला माता श्राइन बोर्ड, स्थानीय मंदिर प्रबंधन बोर्ड, एवं SBI के अधिकारियों के समन्वय से काम किया जाएगा।
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स्थान: मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर के अंदर तक का मुख्य मार्ग जिस पर श्रद्धालु नंगे पैर चलते हैं।
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सड़क की बनावट: यह आरसीसी की स्थायी सड़क की जगह एक सिंथेटिक रबर ट्रैक की तरह बनाई जाएगी, जिसकी सतह कुछ नरम व लचीली होगी ताकि नंगे पैर चलने में कम तकलीफ़ हो।
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लाभ:
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गर्मियों में धूप और सीमेंट की गर्मी से राहत मिलेगी।
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सर्दी में ठंड और ओस के कारण होने वाली सर्दी से बचाव होगा।
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पैरों में छाले, जलन, खुरदरे पत्थर आदि चोटों की संभावना कम होगी।
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विशेषकर बुज़ुर्गों, महिलाओं, और बच्चों को आराम में वृद्धि होगी।
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मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और धर्मिक अनुभव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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चुनौतियाँ और तैयारियाँ
हर नई परियोजना की तरह, इसके लिए कुछ तैयारियाँ और ध्यान देने योग्य बिंदु हैं:
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कागजी कामकाज पूरी कर लिया गया है, SBI के अधिकारियों एवं मंदिर प्रबंधन बोर्ड के बीच चर्चा हो चुकी है। निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा, समय और मौसम की स्थिति को देखते हुए।
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सामग्री चयन महत्वपूर्ण है — रबर की किस्म कैसी होगी, उसका थिकनेस कितना होगा, वह कितनी दिन टिकेगी, धूप/बारिश और पैरों की आदतों को ध्यान में रखते हुए गुण (properties) कैसी होंगी।
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रखरखाव की व्यवस्था होनी चाहिए — सफाई, समय-समय पर मरम्मत या पुनः सतह की जाँच।
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लोगों को जागरूक करना कि उनका सहयोग हो — जैसे कि नंगे पैर चलने की सुविधा बनी रहे, सतह को नुकसान न पहुँचाएँ, कचरा न गिराएँ आदि।
सामाजिक व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व
यह परियोजना सिर्फ भौतिक सुविधा नहीं है, बल्कि दर्शन-पूजन के अनुभव को मानवीय दृष्टि से और अधिक मधुर बनाएगी।
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जब श्रद्धालु नंगे पैर मंदिर जाते हैं, तो यह एक प्रकार का आत्म-दर्शन, संयम और श्रद्धा का भाव होता है। लेकिन उसी भाव को बाधित न होने देना चाहिए कि चलने की असुविधा, गर्मी-ठंड या सतह की कठोरता उसे प्रभावित न करेगी।
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ऐसी सुविधा से मंदिर की प्रतिष्ठा और श्रद्धालुओं का विश्वास बढ़ेगा कि मंदिर प्रबंधन उनकी भलाई का ध्यान रखता है।
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स्थानीय लोगों को भी राहत मिलेगी — न सिर्फ तीर्थयात्रियों को, बल्कि जो मंदिर के आसपास रहते हैं, रोज आते-जाते हैं, उनके लिए भी यह मार्ग सहज होगा।
संभावित समय-सीमा व अपेक्षाएँ
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मंदिर बोर्ड और SBI ने बताया है कि कागजी कार्रवाई पूरी है। तुरंत-जल्दी निर्माण शुरू हो जाएगा।
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सर्दी और वर्षा के मौसम को देखते हुए, संभव है कि निर्माण को मौसम अनुकूल समय पर ही आगे बढ़ाया जाए।
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पूरी सड़क निर्माण में कितने सप्ताह या मास लगेंगे, यह सामग्री, मौसम, श्रमबल और बजट पर निर्भर करेगा। आमतौर पर ऐसी सड़कें कुछ हफ्तों से लेकर एक- दो महीनों में तैयार हो सकती हैं यदि कार्य में बाधाएँ न हों।
निष्कर्ष
गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर में रबर की सड़क बनवाने की यह योजना एक स्वागत योग्य कदम है। यह श्रद्धालुओं के लिए गर्मी, ठंड, धूप, बारिश की असुविधाओं को कम करेगी, पूजा-अर्चना के समय मन में आस्था और श्रद्धा के भाव को बनाए रखेगी। जब धार्मिक स्थलों की संरचनाएँ श्रद्धालुओं की भौतिक जरूरतों का भी ध्यान रखेंगी, तब उनका महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
यह उम्मीद की जा सकती है कि यह प्रोजेक्ट वक्त पर पूरा हो और श्रद्धालुओं को वास्तविक राहत मिले। यदि आप चाहें, तो मैं इस योजना की विस्तृत समय-रेखा, लागत, तथा लोगों की प्रतिक्रियाएँ खोज कर भेज सकता हूँ, जो आपको और अधिक जानकारी दे सके।