भिवानी: मछली पालन ने जिला के गांव सिवानी की शकुंतला को उसके पैरों पर खड़ा करके स्वावलंबी बनाने का काम किया। वह झींगा पालन में अच्छा मुनाफा कमा रही है। शकुंतला लगभग 17 लाख रूपए प्रतिवर्ष झींगा पालन से मुनाफा ले रही है.
शकुंतला ने बताया कि वह अपने पति अनिल के साथ सिवानी में मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित मत्स्य पालन जागरूकता कार्यक्रम में शामिल हुई। उस दौरान उन्होंने झींगा पालन के बारे में विस्तार से जानकारी ली। मत्स्य विभाग द्वारा प्रशिक्षण लेकर उन्होंने झींगा पालन शुरू किया। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर अपनी जमीन खुद की जमीन पर तीन एकड़ में झींगा पालन शुरू किया और आज अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की पीएमएमएसवाई योजना के तहत सब्सिडी संवितरण में 10,51,056 रूपए का लाभ लिया है.
उल्लेखनीय है कि सरकार की जनकल्णाकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाया जा रहा है। सरकार अंत्योदय की भावना से कार्य करके प्रत्येक वर्ग के लिए कार्य कर रही है। कृषि, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल के निर्देशानुसार कृषि, उद्यान, मच्छली व पशु पालन विभाग द्वारा अनेक योजनाओं के माध्यम से आमजन का जीवन स्तर ऊंचा उठाने में हरसंभव आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। मत्स्य विभाग के मछली पालन प्रोजेक्ट पर महिला व अनुसूचित जाति को 60 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। इसी प्रकार सामान्य वर्ग व पिछड़े वर्ग को 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है.
जिला मत्स्य अधिकारी सिकंदर सांगवान ने बताया कि नागरिकों को प्रशिक्षण व जागरूकता शिविरों के माध्यम से झींगा पालन के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस योजना के परिणाम स्वरूप जिला में झींगा पालन का क्षेत्र बढ़ रहा है। झींगा पालन खारे पानी में होता है, जो कि सिवानी व लोहारू क्षेत्र में सबसे अधिक है.
डीसी नरेश नरवाल ने कहा कि मत्स्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लोगों को स्वरोजगार हेतू झींगा पालन के लिए जागरूक अभियान व प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करें। इसी के चलते विभाग के प्रयासों से असर साफतौर पर दिखाई दे रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप जिला में फिलहाल लगभग 225 एकड़ में झींगा पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं द्वारा झींगा पालन करना आत्मनिर्भरता की एक तरफ बढ़ता कदम है.