हरियाणा पर लगे भ्रूण हत्या के कलंक को मिटाना सबसे बड़ी उपलब्धि
महिला सशक्तिकरण व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर हरियाणा सरकार का विशेष फोकस
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की हुई 50 प्रतिशत भागीदारीता
चंडीगढ़, 12 सितंबर- विगत 9 वर्षों में मनोहर सरकार ने महिला सशक्तिकरण व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष बल देते हुए प्रदेश में महिलाओं की तस्वीर बदली है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने इस कड़ी में एक ओर कदम बढ़ाते हुए पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारीता 50 प्रतिशत की है।
वर्ष 2014 में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत हरियाणा से करने की जिम्मेवारी दी थी। 22 जनवरी, 2015 को पानीपत की ऐतिहासिक धरा से प्रधानमंत्री ने इस अभियान की शुरुआत की। मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों व सामाजिक संगठनों व खाप पंचायतों के सहयोग से हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार हुआ। आज लिंगानुपात 1000 लडक़ों के पीछे 922 लड़कियों का है। एक समय था जब हरियाणा पर कन्या भ्रूण हत्या के अभिशाप का कलंक लगा हुआ था, लेकिन वर्तमान सरकार ने हरियाणा से यह कलंक मिटा कर सबसे उपलब्धि हासिल की। आज हरियाणा के लोगों की लड़कियों के प्रति सोच बदली है और हर क्षेत्र में बेटियां प्रदेश व देश का नाम रौशन कर रही हैं।
मनोहर सरकार के कार्यकाल में महिला कल्याण के लिए बनी 30 से अधिक योजनाएं
वर्तमान में हरियाणा में महिलाओं के कल्याण की 39 योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें 31 हरियाणा सरकार की और 8 केंद्र सरकार की योजनाएं शामिल हैं। मुख्यमंत्री की पहल पर हर 20 किलोमीटर के दायरे में एक कॉलेज स्थापित किया गया है, परिणामस्वरूप अब लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता। घर के नजदीक कॉलेज बनने से लड़कियों को उच्च शिक्षा के अधिक अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ने सरकार हर 3 किलोमीटर के दायरे में वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है। छात्राओं को परिवहन की सुविधा प्रदान करते हुए हरियाणा सरकार ने छात्रा सुरिक्षत परिवहन योजना चलाई है, जिसके तहत स्कूल व कॉलेज तक लड़कियों के लिए 200 से अधिक विशेष बसें चलाई जा रही हैं।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान 29 महिला आईटीआई स्थापित की गई हैं और आईटीआई में पढऩे वाली लड़कियों को 500 रुपये प्रति माह वजीफा भी दिया जाता है।
आऊ टसोसिंग पोलसी के तहत कार्यरत महिलाओं को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर मातृत्व अवकाश की सुविधा प्रदान की गई है। इसी प्रकार, दिव्यांग महिला कर्मचारियों को शिशु देखभाल के लिए 1500 रुपये प्रति शिशु विशेष भत्ते की सुविधा पहली बार की है। कामकाजी महिलाओं के लिए 500 नए मॉडल क्रेच खोले जा रहे है ताकि कार्यालय अवधि में शिशुओं की देखभाल की जा सके। इसके लिए नई क्रेच पोलिसी बनाई गई है। पहली अप्रैल, 2023 से विधवा एवं बेसहारा महिलाओं की पेंशन 2750 रुपये प्रतिमहा की है जो देश में सर्वाधिक है।
स्वयं सहायता समूह के जरिय बन कर महिलाएं आत्मनिर्भर
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह गठित कर अपने उत्पाद बेच कर आत्मनिर्भर बन रही है। प्रदेश में 56 हजार 434 महिला सहायता समूह है और इन समूहों को एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का ऋण एक प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध करवाया जाता है तथा स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी जाती है। हर समूह में 10-10 महिलाएं होती हैं। कई स्वयं सहायता समूह तो लघू उद्योग का रूप भी ले चुके हैं, अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवा रही है। सरकार ने अब तक महिला सहायता समूहों को 796 करोड़ रुपय की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई गई है।
151 वीटा ब्रिकी बूथ महिलाओं को आवंटित किए गए हैं और पहली बार 33 प्रतिशत राशन डीपो भी महिलाओं को आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।
32 महिला थाने खोले गए तथा महिला पुलिस की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष भत्ती
वैसे तो मुख्यमंत्री ने सत्ता संभालते ही महिलाओं की सुरक्षा व महिला पुलिसकर्मियों के समक्ष खुलकर अपनी बात रख सकें इसके लिए महिला थाना खोलने की शुरूआत की थी अब प्रदेश में 32 महिला थाने खोले गए हैं हर पुलिस थाने में महिला हेल्प डेस्ट स्थापित किया गया है। दुर्गा शक्ति एप्प, दुर्गा शक्ति वाहनी सेवा, दुर्गा रेपिड एक्सन जैसी योजना लागू करने से महिलाओं में सुरक्षा की भावना जागृत हुई है। हरियाणा पुलिस महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष भत्ती की जा रही है और इसकी छ:प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।