Saturday, September 21, 2024

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण रद्द करने पर दाखिल पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में दाखिल क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। यह याचिका महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर की गई है, जो 2021 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिए जाने के फैसले के खिलाफ है। मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करने के इस कानून को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में रद्द कर दिया था, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2021 के फैसले में यह कहा था कि मराठा आरक्षण 50% की संवैधानिक सीमा का उल्लंघन करता है, जो मंडल आयोग के फैसले के तहत स्थापित की गई थी। अदालत का तर्क था कि मराठा समुदाय को पहले से ही शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण के अन्य प्रावधानों का लाभ मिल रहा है, और इस आरक्षण का कोई अतिरिक्त आधार नहीं है। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक और सामाजिक विवाद शुरू हो गया, क्योंकि मराठा समुदाय ने इस निर्णय को अपने खिलाफ बताया और विरोध-प्रदर्शन किए।

क्यूरेटिव पिटीशन के तहत, महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से आग्रह कर रही है कि वह अपने पहले के फैसले पर पुनर्विचार करे और मराठा आरक्षण को फिर से बहाल करे। सरकार का तर्क है कि मराठा समुदाय एक सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग है, जिसे विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण आवश्यक है।

इसके अलावा, मराठा आरक्षण समर्थकों का कहना है कि समुदाय के लोगों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर नहीं मिल पा रहे हैं, और उन्हें सामाजिक न्याय के तहत आरक्षण की जरूरत है। सरकार ने इस पिटीशन में यह भी दलील दी है कि मराठा समुदाय की स्थिति अन्य पिछड़े वर्गों के समान ही है, और इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जाना उचित है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दायर किए गए पहले के आदेश को चुनौती देने वाली इस क्यूरेटिव पिटीशन पर आज होने वाली सुनवाई को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर काफी रुचि है। कोर्ट का निर्णय मराठा समुदाय के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह फैसला तय करेगा कि मराठा आरक्षण बहाल होगा या नहीं।

इस सुनवाई के नतीजों का महाराष्ट्र की राजनीति और सामाजिक ढांचे पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर। मराठा समुदाय की मांगों और राज्य सरकार की कोशिशों के बीच कोर्ट का फैसला इस विवादित मुद्दे को किस दिशा में ले जाता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

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