
16 september 2025 / 9 सितंबर को इजरायल ने कतर पर हवाई हमला किया। इस हमले ने पूरे मुस्लिम जगत को गहरी चिंता में डाल दिया और कई देशों ने इसे सीधे-सीधे खतरे की घंटी माना। यही वजह रही कि कतर की राजधानी दोहा में मुस्लिम बहुल देशों का आपातकालीन शिखर सम्मेलन बुलाया गया। सम्मेलन में दर्जनों इस्लामिक देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और इजरायल की आक्रामक नीतियों पर कड़ी आपत्ति जताई।कतर पर हमले के बाद मिस्त्र ने भी अपना रुख बेहद स्पष्ट कर दिया है। काहिरा ने कहा है कि अगर इस तरह की कार्रवाई उनके देश के खिलाफ होती है तो इसे युद्ध की औपचारिक घोषणा समझा जाएगा और जवाबी कदम उठाए जाएंगे। मिस्त्र की खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आने वाले समय में इजरायल मिस्त्र को भी निशाना बना सकता है। इस चेतावनी के बाद क्षेत्र में तनाव और भी बढ़ गया है।दोहा सम्मेलन में मिस्त्र ने मुस्लिम देशों को एकजुट होकर एक सैन्य गठबंधन बनाने का सुझाव दिया। मिस्त्र का तर्क है कि यदि पश्चिमी देशों ने NATO जैसा संगठन बना लिया है तो मुस्लिम देशों को भी किसी भी बाहरी खतरे से बचाव के लिए साझा मोर्चा तैयार करना चाहिए। इस प्रस्ताव को फिलहाल ईरान और इराक का समर्थन मिला है। दोनों देशों का मानना है कि मौजूदा हालात में सामूहिक सुरक्षा ही मुस्लिम जगत की रक्षा कर सकती है।
हालांकि यह विचार जितना आकर्षक है, उतना ही जटिल भी। मुस्लिम देशों के बीच कई तरह के राजनीतिक और धार्मिक मतभेद लंबे समय से बने हुए हैं।सऊदी अरब और ईरान के बीच शिया-सुन्नी विवाद तुर्की और खाड़ी देशों में मुस्लिम ब्रदरहुड को लेकर असहमति,अमेरिका से करीबी संबंध रखने वाले कुछ अरब देशों का झुकाव ,इन मतभेदों की वजह से एकजुट होकर काम करना आसान नहीं है।तुर्की चाहता है कि गठबंधन में उसकी प्रमुख भूमिका हो, जबकि सऊदी अरब खुद को मुस्लिम जगत का प्राकृतिक नेता मानता है। यह खींचतान भविष्य में सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकती है।विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सभी मुस्लिम देश साझा रणनीति पर सहमत नहीं होते, तब तक NATO जैसा ताकतवर सैन्य गठबंधन बन पाना मुश्किल है। फिर भी, कतर पर हुआ हमला एक चेतावनी साबित हो सकता है, जिसने मुस्लिम जगत को कम से कम एकजुट होने की दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है।