- शहर में ई-रिक्शा के माध्यमस से टीबी के प्रति नागरिकों को किया जाएगा जागरूक
भिवानी, 14 मार्च
स्थानीय चौ. बंसीलाल राजकीय सामान्य अस्पताल में मंगलवार को टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने जागरूकता वाहन ई-रिक्शा को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया. यह ई-रिक्शा विशेषकर शहर के सभी स्लम एरिया में जाकर लोगो को टीबी के प्रति जागरूक करेगी.
सिविल सर्जन ने बताया कि जिला में सभी आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनस सैंटर, सभी सीएचसी और पीएचसी पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया गया. जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर तरीके से लागू करने और लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए समय-समय पर स्वस्थ्य मन-स्वस्थ घर अभियान के तहत स्वास्थ्य मेले भी लगाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त तभी कर सकते है, जब प्रत्येक व्यक्ति इसके प्रति जागरूक हो तथा अपना पूर्ण सहयोग देें.
टीबी संक्रामक बीमारी है
टीबी रोग एक बेहद ही खतरनाक फेफड़ो का रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है. यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है. यह हड्डियों के जोड़, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के उपर की झिल्ली आदि में भी हो सकता है. यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है. सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते है. यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटो तक हवा में रहते हैं. जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है, तो उसके शरीर में प्रवेश करके यह रोग उत्पन्न करता है. टीबी के बैक्टीरिया धूल में भी मौजूद होते है, जिसमें रोगी की लार, नाक, थूक आदि मिली रहती है. संक्रमित पानी तथा भोजन से भी ये मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते है. सिविल सर्जन ने बताया कि हम सब की यह जिम्मेवारी भी बनती है कि टी.बी के मरीजो को प्रेरित करे कि वे भी समय पर दवाई ले, समय पर खाना खाएं, व्यायाम करे तथा साथ अपने आस पास साफ सफाई का भी ध्यान रखेगें तो वे भी हमारी तरह टी.बी की बीमारी को दुर भगा सकती है क्योकिं यह बीमारी ऐसी नही है कि जिससे हम लड़ाई लडक़े इसको भगा न सकें.
उप सिविल सर्जन डॉ. सुमन विश्वकर्मा (टीबी) ने बताया कि अगर कोई भी टीबी का मरीज अपना पूरा ध्यान नही रखता है या खांसते या छींकते समय मुंह पर कपड़ा नही रखता है तो वह व्यक्ति 10 से 15 व्यक्तियों को टी.बी को मरीज बना सकता है. इसलिए टी.बी के मरीज को यह भी ध्यान रखना है कि वह खांसते या छींकते समय मुंह पर कपड़ा अवश्य रखे. टीबी से ग्रस्त होने पर भूख कम लगती है, वहीं व्यक्ति को सुस्ती, थकान और कभी-कभी रात में पसीना आना, हल्का बुखार बना रहना आदि लक्षण है. आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और ईलाज रोक देता है. इसलिए डॉक्टर से बिना पूछे दवा बन्द ना करें. अगर कोई भी व्यक्ति समय पर टीबी का ईलाज करवाता है तथा समय पर पूरी दवाईयां ले लेता है तो टीबी ठीक हो सकती है. उन्होने बताया कि टीबी के मरीज का जब तक ईलाज चलता है तो उसको प्रतिमाह 500 रूपये भी सरकार द्वारा दिये जाते हैं. अगर किसी भी व्यक्ति को टीबी के प्रति कोई भी जानकारी लेनी है तो वह हैल्पलाईन नंबर 1800-11-6666 पर कॉल कर सकता है या टीबी आरोग्य साथी एैप को मोबाईल में डाउनलोड करके सभी जानकारी टीबी के प्रति ले सकता है.
इस मौके पर उप सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार, सतपाल, संदीप, दया किशन दहिया, रितु, महावीर आदि स्टाफ मौजूद था.