- नई दिल्ली,19 जुलाई : साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और इसे लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने समीकरण बनाने बिगाड़ने में लग गई है, तो इसी क्रम में अब 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में 26 राजनीतिक दलों की बैठक हुई | यहां इस बैठक में विपक्षी एकता की राह में सबसे बड़ी बाधा प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी को लेकर थी, जिस पर कांग्रेस ने अपने कदम पीछे खींच लिए है |
- दरअसल आपको बता दे की इस बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उन्होंने पहले भी कहा था कि कांग्रेस को सत्ता या पीएम पद में कोई दिलचस्पी नहीं है और हमारा इरादा कांग्रेस के लिए सत्ता हासिल करना नहीं है बल्कि भारत के संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा करना है |
- कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान के बाद सभी 26 दलों ने बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने और एनडीए का मुकाबला करने के लिए ‘INDIA’ नाम से एक गठबंधन बनाया और इस गठबंधन के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि साल 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी बनाम कौन होगा और कांग्रेस के पीएम का दावा छोड़ने के फैसले पर पार्टी को कितना नुकसान या फायदा होगा |
- कांग्रेस ने आखिर क्यों लिया ये फैसला
- कांग्रेस कई बार सार्वजनिक मंचों पर भी ये कह चुकी है कि पार्टी का फिलहाल एक ही लक्ष्य है और वह है मोदी सरकार को सत्ता से हटाना | इसके अलावा कांग्रेस पिछले दो लोकसभा चुनाव लगातार हार चुकी है | अगर पार्टी तीसरी बार भी हारती है तो कहीं न कहीं पार्टी को अपना सियासी वजूद को बचाए रखने में मुश्किल हो सकता है तो ऐसे में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए वह किसी भी तरीके को आजमाने के लिए तैयार है |
- कांग्रेस को इस फैसले से फायदा या नुकसान
- कांग्रेस का ये फैसला लेना बहुत ही सोची समझी रणनीति का हिस्सा है | फिलहाल पार्टी में राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर कोई स्पष्टता नहीं है और दूसरी तरफ पार्टी के पीएम पद के दावे से कदम पीछे खींचने के बाद अब मजबूरन क्षेत्रीय दलों को पीएम पद की मांग छोड़नी पड़ेगी |