तमिलनाडु की दुकान में काठ से बने हुए रामलला
गुरूग्राम, 24 अक्टूबर।
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ में इस साल दिवाली से पहले जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है। मेले में विभिन्न उत्पादों, हस्तशिल्प और खाद्य वस्तुओं का विशाल संग्रह देखने को मिला, जो उपस्थित लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना।
कर्नाटक की दुकान पर लैदर से बने हुए गणेश जी , तमिलनाडु की दुकान में काठ से बने हुए रामलला , हरियाणा की पारम्परिक मिठाइयां , गुजरात , पश्चिम बंगाल आदि की दुकानों पर परिधानों के लिए भीड़ बढ़ती जा रही है।
इस साल का सरस मेला न केवल स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने का एक मंच है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं और छोटे उद्यमियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। मेले में उपस्थित दर्शकों ने विशेष रूप से ‘लखपति दीदियों’ द्वारा निर्मित उत्पादों की सराहना की, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से इन उत्पादों को तैयार किया है।
दिवाली की तैयारियों के चलते मेले में आए लोग विभिन्न प्रकार की सजावटी वस्तुएं, रंग-बिरंगे दीये, और पारंपरिक मिठाइयों की खरीदारी कर रहे थे। खासतौर पर, मेले में विभिन्न परिधान जैसे कि साड़ी, कुर्ता, और अन्य पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन भी आकर्षक रहा। इसके अलावा, बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए खिलौनों का भी शानदार संग्रह उपस्थित था। ये खिलौने न केवल मनोरंजक थे, बल्कि शिक्षा और विकास में सहायक भी साबित हो रहे थे, जिससे बच्चों के चेहरे पर खुशी देखते ही बनती थी।
सरस मेले का माहौल उत्सवमय है, जहां परिवारों और दोस्तों के साथ मिलकर लोग खरीदारी का आनंद ले रहे हैं। सरस मेला न केवल एक खरीदारी का स्थान है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और समुदाय की एकता का प्रतीक है। इस वर्ष की दिवाली से पहले की भीड़ ने साबित कर दिया है कि लोग अपने पारंपरिक मूल्यों को संजोते हुए आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। मेले में प्रदर्शित उत्पादों, परिधानों, और खिलौनों ने सभी उम्र के लोगों का ध्यान आकर्षित किया और उन्हें एकजुट किया।