Saturday, September 21, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की बड़ी बेंच का किया गठन

सुप्रीम कोर्ट ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया

नई दिल्ली 2 अगस्त  – सुप्रीम कोर्ट ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया है। यह निर्णय पिछले वर्ष मार्च में दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा संदर्भ भेजे जाने के बाद आया है। इस नई पीठ में न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह शामिल हैं।

The larger bench of the Supreme Court can decide today whether the case of  IFS Sanjeev Chaturvedi should be heard in Delhi or Nainital-m.khaskhabar.com

 पृष्ठभूमि

इस मामले की शुरुआत फरवरी 2020 में हुई थी, जब संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की नैनीताल पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी। उन्होंने केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव स्तर पर वर्तमान पैनल प्रणाली और लेटरल एंट्री की प्रणाली को चुनौती दी थी। दिसंबर 2020 में, केंद्र सरकार की याचिका पर, कैट के तत्कालीन अध्यक्ष ने मामले की सुनवाई कैट की दिल्ली बेंच को स्थानांतरित करने का आदेश पारित किया, जिसमें कहा गया कि यह मुद्दा “राष्ट्रीय महत्व” का है।

उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2021 में कैट के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार ने एक विशेष अनुमति याचिका दायर की। इस पर सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति नागरत्ना शामिल थे, ने मामले को नई पीठ के गठन के लिए संदर्भित किया। इस पीठ ने कहा कि यह मामला कई कर्मचारियों को प्रभावित करता है और इसका सार्वजनिक महत्व है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट की नई तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया गया।

सुप्रीम कोर्ट, संजीव चतुर्वेदी

 कानूनी मतभेद

यह मामला पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव श्री अल्पन बंद्योपाध्याय के मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य डिवीजन बेंच के पहले के फैसले से उत्पन्न मतभेदों के कारण भी महत्वपूर्ण है। उस समय, सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में कहा था कि कैट, प्रिंसिपल बेंच, नई दिल्ली द्वारा पारित आदेश को केवल दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुना जा सकता था, कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा नहीं।

 निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ अब इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर निर्णय लिया जाएगा। इस मामले की सुनवाई और निर्णय का इंतजार किया जा रहा है, जो कई सरकारी कर्मचारियों और नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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