पिछले पांच सालों से सत्ता का स्वाद चख रहे ये नेता
अब भविष्य की चिंता में डूबे
नई दिल्ली: , हरियाणा की राजनीति में इन दिनों जोरदार हलचल है, क्योंकि विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं। सत्ता में बने रहने की कोशिश में कई विधायक और मंत्री बेचैन हैं। पिछले पांच सालों से सत्ता का स्वाद चख रहे ये नेता अब भविष्य की चिंता में डूबे हुए हैं। भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के गठबंधन में शामिल रहे ये नेता अब कांग्रेस की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस इन्हें लेकर सतर्क रुख अपना रही है।
कांग्रेस की ओर भाग रहे जेजेपी के विधायक
सूत्रों के अनुसार, जेजेपी के चार विधायक और एक पूर्व मंत्री कांग्रेस में शामिल होने की तैयारी में हैं। उन्हें लग रहा है कि भाजपा के साथ उनका राजनीतिक भविष्य असुरक्षित है और कांग्रेस ही उन्हें आगे बढ़ने का सही मंच प्रदान कर सकती है। हालांकि, कांग्रेस ऐसे नेताओं को लेकर काफी सावधानी बरत रही है, जिन्होंने पिछले पांच सालों में सत्ता का लाभ उठाया लेकिन जनता की समस्याओं को अनदेखा किया।
कांग्रेस का सख्त रुख
कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल उन्हीं नेताओं को अपने साथ जोड़ेगी जिनकी जनता के बीच सकारात्मक छवि है और जो चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। हरियाणा के पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली इसका एक बड़ा उदाहरण हैं। बबली ने जेजेपी-भाजपा सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल करने से मना कर दिया। कांग्रेस का मानना है कि ऐसे नेता, जिन्होंने पांच सालों तक सत्ता का लाभ उठाया और जनता के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, उन्हें पार्टी में शामिल करना पार्टी के लिए हानिकारक हो सकता है।
सत्ता में वापसी की जद्दोजहद
जेजेपी के कई अन्य नेता भी सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का सहारा लेना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस ने इन नेताओं से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है। कांग्रेस के बड़े नेताओं का मानना है कि जो नेता अपने क्षेत्रों में जनता के बीच प्रभाव नहीं बना पाए, उन्हें पार्टी में शामिल करने का कोई फायदा नहीं होगा। कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनावों में जीत की रणनीति पर काम कर रही है और इसी के तहत वह केवल जीतने वाले प्रत्याशियों को ही टिकट देगी।
टिकट वितरण में सावधानी
कांग्रेस ने इस बार टिकट वितरण को लेकर भी सख्त रुख अपनाया है। पार्टी केवल उन्हीं उम्मीदवारों को टिकट देगी जिनकी जीत की संभावना ज्यादा हो। जो नेता इधर-उधर से दौड़कर कांग्रेस में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें पार्टी गंभीरता से परख रही है। कांग्रेस का उद्देश्य है कि इस बार केवल उन्हीं प्रत्याशियों को मैदान में उतारा जाए जो चुनाव जीतने की क्षमता रखते हों, ताकि पार्टी की चुनावी संभावनाएं मजबूत हो सकें।
निष्कर्ष
हरियाणा की राजनीति में इस समय बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। सत्ता में बने रहने की जद्दोजहद के बीच कई नेता कांग्रेस का सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस केवल उन्हीं को साथ जोड़ रही है जो जनता के बीच अच्छी छवि रखते हैं और जीतने की क्षमता रखते हैं। आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की इस रणनीति का क्या परिणाम होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। हरियाणा की राजनीति की यह उठापटक आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है, क्योंकि चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है।