Saturday, September 21, 2024

हरियाणा विधानसभा चुनाव: टिकट वितरण में हो सकती है देरी, समाजों की मांगों से भाजपा पर दबाव

दिल्ली मुख्यालय में हरियाणा को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा नहीं हो पा रही है।

दिल्ली, हरियाणा विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट वितरण में अभी भी देरी की संभावना बनी हुई है। हरियाणा के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समय अपने गृह राज्य में व्यस्त हैं, जिसके चलते दिल्ली मुख्यालय में हरियाणा को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा नहीं हो पा रही है।

टिकट वितरण से पहले जनसंपर्क में जुटे नेता

भाजपा के कई नेता टिकट का इंतजार किए बिना ही हरियाणा में जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं। वे अपने-अपने क्षेत्रों में आशीर्वाद मांग रहे हैं और जनता से समर्थन की अपील कर रहे हैं। वहीं, कुछ नेता अब भी भाजपा की टिकट का इंतजार कर रहे हैं और इस बीच प्रचार की तैयारियों में लगे हुए हैं। हरियाणा भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने तो पिछले कई दिनों से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत भी कर दी है।

समाजों की टिकट मांग और भाजपा पर बढ़ता दबाव

हरियाणा में विभिन्न समाजों के लोग अपनी-अपनी टिकट की मांगों को लेकर सक्रिय हो गए हैं। वे अलग-अलग बैठकों और पंचायतों के माध्यम से भाजपा और कांग्रेस से अधिक से अधिक टिकट की मांग कर रहे हैं।

  • राजपूत समाज: राजपूत समाज ने भाजपा से कई सीटों पर टिकट की मांग की है।
  • जाट समाज: जाट समाज 20 सीटों पर टिकट की मांग कर रहा है।
  • यादव समाज: यादव समाज ने 15 सीटों पर टिकट की मांग रखी है।
  • पंजाबी समाज: पंजाबी समाज ने भी 20 सीटों पर अपनी दावेदारी जताई है।

टिकट न मिलने पर हो सकता है विरोध

सूत्रों के अनुसार, यदि इन समाजों की मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर सकते हैं। इससे पार्टी के लिए चुनावी समीकरणों में बदलाव आ सकता है और टिकट वितरण के दौरान सावधानी बरतनी होगी।

टिकट वितरण में देरी का असर

टिकट वितरण में देरी के चलते भाजपा के कई कार्यकर्ता और नेता असमंजस की स्थिति में हैं। हालांकि, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता पहले ही अपने क्षेत्रों में प्रचार अभियान शुरू कर चुके हैं, लेकिन कई नेता अभी भी पार्टी के अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।

निष्कर्ष: हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर स्थिति जटिल होती जा रही है। समाजों की बढ़ती मांग और नेताओं की सक्रियता ने भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है। अगर जल्द ही टिकट वितरण नहीं हुआ, तो पार्टी को आंतरिक असंतोष का सामना करना पड़ सकता है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

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